आरएसएस शताब्दी वर्ष: बारिश के बीच निकला पथ संचलन, जगह-जगह पुष्पवर्षा से हुआ स्वागत

बाराबंकी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में जिलेभर में स्वयंसेवकों का पथ संचलन कार्यक्रम आयोजित किया गया। सोमवार को जैदपुर विधानसभा के भानमऊ और कुर्सी विधानसभा के बिहूरी में स्वयंसेवकों ने अनुशासन और उत्साह के साथ पथ संचलन किया।

स्वयंसेवक “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के जयघोष के साथ कदमताल करते हुए पूरे मार्ग में संगठन गीत गाते रहे। बारिश के बावजूद उत्साह चरम पर था। लोगों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया और देशभक्ति के नारों से माहौल गूंज उठा।

पथ संचलन से पूर्व स्वयंसेवकों ने विजयादशमी उत्सव और शस्त्र पूजन में हिस्सा लिया।
मुख्य वक्ता जिला कार्यवाह सुधीर ने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का उद्देश्य हर व्यक्ति में स्वदेशभक्ति की भावना जागृत करना था।
उन्होंने कहा कि विजयादशमी केवल रावण वध का पर्व नहीं, बल्कि संघ के इतिहास का भी महत्वपूर्ण दिन है — क्योंकि इसी दिन नागपुर में संघ की पहली शाखा स्थापित हुई थी।

सुधीर ने अपने संबोधन में भारत की वैदिक परंपराओं, सांस्कृतिक मूल्यों और पारिवारिक एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य धर्म, राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का इतिहास गौरवशाली रहा है, लेकिन विदेशी आक्रांताओं के शासन में हमारी संस्कृति को चोटें पहुँची हैं। संघ कार्य का आधार शुद्ध और सात्विक प्रेम होना चाहिए।

कार्यक्रम में जिला बौद्धिक प्रमुख शिवकुमार, ओमकार, हरिओम जी, धर्मेंद्र, रामू, पंकज, अजीत, वरुण, आदित्य, और धर्मेंद्र कुमार सहित कई स्वयंसेवक उपस्थित रहे।