
बहराइच। नेपाल में हुए जेन जी आंदोलन और नेपालियों की कमजोर क्रय शक्ति के कारण इस वर्ष रुपईडीहा का व्यापार पिछले वर्ष की तुलना में हल्का रहा। हालांकि सड़कों पर भारी भीड़ रही, खासकर फुटपाथों पर लगी झालरों, मूर्तियों और दीयों पर ग्राहकों की भीड़ देखी गई।
रुपईडीहा उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष शैलेश जायसवाल और महामंत्री योगेंद्र शर्मा ने बताया कि कपड़े का थोक कारोबार शून्य रहा, जबकि फुटकर दुकानों पर रेडीमेड कपड़ों की बिक्री जारी रही। वहीं, बर्तनों की खरीदारी अच्छी हुई। झालर, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और कलेंडर खूब बिके।
उन्होंने बताया कि ठेले और बाइकों पर होजरी, जूते-चप्पल, क्रॉकरी, ड्राई फ्रूट्स, कॉस्मेटिक, बेल्ट, घड़ियां और प्लास्टिक बर्तन बिकने के कारण दुकानों में नेपाली ग्राहक प्रवेश नहीं कर पाए। इसी वजह से दुकानदारों को इस बार बेतरतीब ठेलों की मार झेलनी पड़ी।
इसके अलावा, रुपईडीहा के कुछ आयुर्वेद चिकित्सक पहले धन्वंतरि जयंती पर समारोह आयोजित कर भगवान धन्वंतरि की पूजा करते और प्रसाद वितरित करते थे। लेकिन वर्षों से यह परंपरा बंद हो गई है, क्योंकि अब ये चिकित्सक एलोपैथी में काम कर रहे हैं।