
बाराबंकी। जनपद वासियों के लिए इस वर्ष एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण लेकर आ रहा है। शिरडी के श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट 13 दिसंबर को साईं बाबा की 110 वर्ष पुरानी पवित्र चरण पादुकाओं का भव्य दर्शन समारोह बाराबंकी में आयोजित करने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पहली बार इन मूल पादुकाओं को शिरडी से बाराबंकी लाया जा रहा है।
12 दिसंबर की रात ये पादुकाएं बाराबंकी पहुंचेंगी, जिन्हें स्वयं संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और 2013 बैच के आईएएस अधिकारी गोरक्ष गडिलकर लेकर आ रहे हैं।
13 दिसंबर को जिला अस्पताल के सामने स्थित जीआईसी ऑडिटोरियम में पादुकाओं का प्रतिष्ठापन किया जाएगा। कार्यक्रम सुबह 10 बजे नागेश्वर नाथ मंदिर से शुरू होने वाली पादुका यात्रा से आरम्भ होगा, जो ढोल-नगाड़ों, शंखनाद और आतिशबाजी के बीच कार्यक्रम स्थल तक पहुंचेगी।
कार्यक्रम का विस्तृत क्रम इस प्रकार रहेगा—
सुबह 11:30 बजे – चरण पादुका प्रतिष्ठापन एवं दर्शन
दोपहर 12:00 बजे – मध्यांह आरती
दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे – राकेश जुनेजा व अंजलि थापी द्वारा साईं ज्ञानेश्वरी का संगीतमयी पाठ
शाम 4 बजे से 6 बजे – मनमोहक झांकियों का प्रदर्शन
शाम 6:30 बजे – धूप आरती
रात 7 बजे से – अंतर्राष्ट्रीय भजन गायक पारस जैन की भजन संध्या
सीईओ गोरक्ष गडिलकर ने बताया कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य उन भक्तों, बुजुर्गों और दिव्यांगों तक बाबा का आशीर्वाद पहुंचाना है, जो शिरडी नहीं जा पाते। उन्होंने कहा कि “बाबा की पादुका का मतलब बाबा स्वयं। यह किसी भी भक्त के जीवन की एक बड़ी इच्छा की सिद्धि के समान है।”
1918 में समाधि से पूर्व साईं बाबा द्वारा पहनी जाने वाली ये मूल पादुकाएं अभी भी बाबा के समय की ही अवस्था में संरक्षित हैं। इनका संरक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) द्वारा किया जाता है। पादुकाओं को छूना अनुमति-रहित होगा, किन्तु भक्त कांच के आवरण से उनका दिव्य दर्शन कर सकेंगे।
आयोजक राजेश अरोड़ा ‘बब्बू’ ने बताया कि 2017-18 में, बाबा की समाधि शताब्दी वर्ष पर, ये पादुकाएं दूसरी बार म्यूजियम से बाहर लाई गई थीं। इसके बाद अप्रैल 2024 में इनका दक्षिण भारत में दौरा हुआ, और अब 1 दिसंबर 2025 से उत्तर भारत की यात्रा शुरू हुई है।