
अमर भारती ब्यूरो
रिपोर्टर: गंगेश पाण्डेय, सलेमपुर (देवरिया)
सलेमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की बदहाल स्थिति एक बार फिर सामने आई है। डॉक्टरों की भारी कमी के चलते इलाज की ज़िम्मेदारी अब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के यूनानी डॉक्टरों पर आ गई है, जबकि इनकी असल जिम्मेदारी स्कूलों और आंगनबाड़ियों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करना है।
स्थानीय लोगों का सवाल है कि जब यूनानी RBSK डॉक्टर अस्पताल में ओपीडी चला रहे हैं, तो बच्चों की सेहत की निगरानी कौन करेगा?

स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमराईं
शुक्रवार को अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह लड़खड़ा गईं। कुल 9 डॉक्टरों में से 3—डॉ. सुमन गुप्ता, डॉ. आकांक्षा गुप्ता और डॉ. पुष्पेंद्र तिवारी—अवकाश पर रहे। इसके चलते ओपीडी में मरीजों की भीड़ के बावजूद इलाज बाधित रहा।
हाजिरी में केवल ये डॉक्टर पाए गए:
डॉ. शम्स अली (यूनानी)
डॉ. अतुल कुमार
डॉ. सरफराज अहमद (दंत चिकित्सक)
डॉ. मयंक
डॉ. वाईपी यादव (RBSK यूनानी)
डॉ. नरेंद्र मोहन
RBSK की भूमिका पर उठे सवाल
RBSK डॉक्टरों की भूमिका स्कूलों और आंगनबाड़ियों में जाकर बच्चों की स्वास्थ्य जांच करने की होती है। समय रहते गंभीर बीमारियों की पहचान कर उन्हें उचित इलाज के लिए रेफर करना इनकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी है।
लेकिन अब यही डॉक्टर अस्पताल में नियमित ओपीडी संभाल रहे हैं, जिससे स्कूल हेल्थ प्रोग्राम पूरी तरह हाशिए पर चला गया है।

स्थानीय लोगों की मांग है कि RBSK डॉक्टर को उनकी मूल जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए और अस्पताल में स्थायी डॉक्टरों की तैनाती की जाए।
मरीजों की परेशानियों की सुनवाई नहीं
सुबह से अस्पताल में निधि, सोनम, अफसाना, वेदिका, अंकिता, उमा पाण्डेय और पल्लवी जैसी कई महिलाएं इलाज के इंतज़ार में पर्ची कटवाकर लाइन में लगी रहीं। लेकिन डॉक्टरों की अनुपलब्धता से उन्हें न तो समय पर जांच मिली, न ही दवा। कुछ मरीज तो बिना इलाज के ही लौट गए।
अस्पताल स्टाफ भी इस अव्यवस्था पर पूरी तरह बेखबर नजर आया।

अधीक्षक ने मानी डॉक्टरों की कमी
इस संबंध में जब सीएचसी अधीक्षक डॉ. अतुल कुमार से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि,
“डॉक्टरों की कमी के कारण यूनानी (RBSK) डॉक्टर से ओपीडी का कार्य लिया जा रहा है। तीन डॉक्टर छुट्टी पर हैं, जिससे स्थिति असहज हो गई है।”
लोगों का आरोप: ‘अस्पताल में ये हाल अब आम बात हो गई है’
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह कोई पहली बार नहीं है जब डॉक्टरों की कमी से मरीजों को परेशान होना पड़ा हो। अक्सर अस्पताल में स्टाफ की अनुपस्थिति और गैर-जिम्मेदार रवैया देखने को मिलता है।
प्रशासन से अपेक्षा: जल्द हो ठोस व्यवस्था
जनता की मांग है कि सीएचसी में पर्याप्त संख्या में MBBS डॉक्टरों की तैनाती हो, RBSK डॉक्टरों को स्कूलों और बच्चों की जांच के कार्य में लगाया जाए ताकि स्कूल हेल्थ कार्यक्रम भी प्रभावी ढंग से चल सके।