
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी और उनकी कैबिनेट के राज्यमंत्री सतीश शर्मा इन दिनों बिहार में भाजपा के संगठनात्मक अभियान को धार देने में जुटे हैं। पार्टी नेतृत्व ने उन्हें काराकाट लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभाओं — नोखा, गोह, ओबरा, नबीनगर, डेहरी और काराकाट — की जिम्मेदारी सौंपी है।
दरअसल, सतीश शर्मा की गिनती भाजपा के मजबूत ब्राह्मण और जनाधार वाले नेताओं में की जाती है। बाराबंकी की दरियाबाद विधानसभा से लगातार दो बार विधायक बने सतीश शर्मा अपने क्षेत्र में सामाजिक संतुलन और जातीय समीकरण साधने के लिए प्रसिद्ध हैं।

भाजपा नेतृत्व बिहार चुनावों में यादव, कोइरी, राजपूत, चंद्रवंशी और मल्लाह जैसी जातियों में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए सतीश शर्मा के अनुभव का लाभ उठा रहा है। शर्मा इन समुदायों को भाजपा की मुख्यधारा से जोड़ने में जुटे हैं।
सतीश शर्मा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जिला पंचायत सदस्य के रूप में की थी और आज वे योगी सरकार में मंत्री के रूप में प्रदेश की राजनीति में सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। उनके दादा स्व. डॉ. अवधेश शर्मा, जनसंघ के एक आधार स्तंभ रहे हैं।
हाल ही में अयोध्या दीपोत्सव के दौरान सतीश शर्मा की राम रथ खींचते और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मंचासीन तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं, जिसने उन्हें ब्राह्मण समाज के सशक्त चेहरे के रूप में स्थापित कर दिया है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बिहार की राजनीति में जनजातीय और पिछड़ी जातियों का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है। ऐसे में सतीश शर्मा की सक्रियता भाजपा के लिए डैमेज कंट्रोल और विस्तार दोनों का माध्यम बन सकती है।
सतीश शर्मा का मानना है कि अगर भाजपा को 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करनी है, तो उसे जनजातीय समाज और पिछड़ी जातियों का विश्वास जीतना होगा। इसी उद्देश्य से वे बिहार के विभिन्न इलाकों में संवाद, संपर्क और विकास कार्यक्रमों के माध्यम से जनता के बीच पहुंच बना रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सतीश शर्मा न केवल बिहार में भाजपा के लिए निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि आने वाले समय में राष्ट्रीय राजनीति में भी एक प्रभावशाली चेहरा बनकर उभर सकते हैं।