International Tiger Day: जंगल का राजा अब खतरे में है और अगर राजा ही नहीं बचेगा, तो जंगल किसके लिए बचेगा? आज है इंटरनेशनल टाइगर डे , एक ऐसा दिन, जब पूरी दुनिया बाघों की घटती आबादी पर चिंता जताती है, और भारत एक नई उम्मीद बनकर उभरता है। हर साल 29 जुलाई को दुनिया भर में इंटरनेशनल टाइगर डे यानी अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है।
International Tiger Day: बाघों ने जंगलों को किया जिंदा
इस दिन का मकसद है , बाघों की घटती संख्या पर ध्यान आकर्षित करना और इन शाही जानवरों के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक बनाना।
बाघ क्यों हैं ज़रूरी?
बाघ सिर्फ जंगल की दहाड़ ही नहीं, बल्कि वो पूरे जंगल के इकोसिस्टम की सेहत का प्रतीक है. बाघ हैं तो जंगल है, जंगल है तो बारिश है. बारिश हैं तो नदियां हैं और नदियां हैं तो जीवन है. जब बाघों की संख्या बढ़ती है, तो इसका मतलब है- जंगलों की हालत सुधर रही है. इसी साल जनवरी में साइंस जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि एक दशक से भी कम समय में देश में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई है.
बाघ न सिर्फ जंगलों के राजा हैं, बल्कि इकोसिस्टम की हेल्थ को बैलेंस करने में इनकी अहम भूमिका होती है। अगर बाघ खत्म हो जाएंगे, तो पूरी जैविक श्रृंखला (Food Chain) बिगड़ जाएगी। बाघ जितने मजबूत होते हैं, जंगल उतना ही सुरक्षित होता है… और जंगल जितना मजबूत होता है, पृथ्वी उतनी ही जीवंत रहती है।
बाघ संकट में क्यों हैं?
शिकार (Poaching) बाघ की खाल, हड्डियाँ और नाखून ब्लैक मार्केट में बिकते हैं।
वनों की कटाई (Deforestation), इंसानों की बढ़ती आबादी और अंधाधुंध विकास ने बाघों का घर छीना है।
मानव-बाघ संघर्ष (Human-Wildlife Conflict), जंगलों की कमी से बाघ गांवों की ओर आने लगे हैं और टकराव बढ़ गया है।
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के मुताबिक, बाघों की संख्या, जो 2010 में अनुमानित 1,706 थी, वो 2022 में बढ़कर 3,682 हो गई. आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में जितने बाघ हैं, उनका तीन चौथाई हिस्सा यानी 75 फीसदी बाघ, भारत में हैं.
\ये हमारे लिए बेहद गर्व की बात है. और ये कामयाबी मिली कैसे? बाघों के अवैध शिकार और हैबिटेट लॉस से बचाकर, मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करके, बाघों के लिए पर्याप्त शिकार सुनिश्चित करके और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाकर,.. और भारत अब “बाघों की राजधानी” बन चुका है।
भारत की बाघ संरक्षण की कहानी (Tiger Conservation in India)
भारत सरकार ने 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरुआत की थी। उस समय देश में बाघों की संख्या सिर्फ 1,800 के करीब थी।
2022 की गिनती के अनुसार,.. भारत में 3,167 बाघ पाए गए। मध्यप्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा बाघ हैं। भारत के पास आज 53 टाइगर रिज़र्व्स हैं।
कुछ रोचक तथ्य सायद आपने कभी ना सुना हो बाघ एक बार में 6 मीटर तक की छलांग लगा सकता है। बाघों के शरीर पर मौजूद धारियाँ हर बाघ की अलग पहचान होती हैं, जैसे हमारी फिंगरप्रिंट। एक बाघ एक रात में 30 किलो तक मांस खा सकता है। दुनिया के सबसे बड़े बाघ प्रजाति,.. साइबेरियन टाइगर , ठंडी बर्फीली जगहों में रहते हैं। बाघ तैराकी में माहिर होते हैं , और अक्सर नदियों में शिकार करते देखे जाते हैं।
साथ ही जनता से अपील है,..शिकार को रोकिए, जंगलों को बचाइए, टाइगर रिज़र्व्स में ज़रूरत से ज्यादा मानव दखल से बचिए बच्चों को वन्यजीवों के बारे में पढ़ाइए, बाघ बचाना सिर्फ एक प्रजाति को नहीं, बल्कि पूरी प्रकृति को बचाना है।
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