बढ़ता तापमान है मानवता के लिए संकट
नई दिल्ली। मानव जाति अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति की दुर्गति करने के लिए मशहूर है। पृथ्वी पर बढ़ता तापमान हमेशा से भविष्य में आने वाले खतरों की घंटी साबित होता है। जिसके लिए मानव जाति ही ज़िम्मेदार होती है और इस कलंक से इंसान मुंह फेर नहीं सकता। दरअसल हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि ग्लोबल वार्मिंग तेज हो रही है और इसके लिए साफ़ तौर पर मानव जाति ही ज़िम्मेदार है। आपको बता दे कि इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पृथ्वी की औसत सतह का तापमान, साल 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। ये बढ़ोतरी पूर्वानुमान से एक दशक पहले ही जाएगी।
पैरिस समझौते की सहमती
आपको बता दें कि, साल 2015 में पैरिस समझौते में यह सहमति बनी थी कि तापमान 2 डिग्री से कम रखना हैं और सदी के अंत तक यह 1.5 डिग्री से ज्यादा न हो। लेकिन रिपोर्ट यह कहती है कि पृथ्वी 2030 के दशक तक ही तापमान में 1.5 डिग्री की बढ़ोतरी को पार कर लेगी।
उत्सर्जन की कमी से हो सकता है बचाव
इस अध्ययन के शोधकर्ताओं का मानना है कि ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती कर, काफी हद तक इस संकट को रोका जा सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि शोधकर्तांओं का मानना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस शताब्दी के अंत तक समुद्र का जलस्तर लगभग दो मीटर तक बढ़ सकता है।