शारदा नदी की तबाही से करसौर गांव का अस्तित्व संकट में, ग्रामीण खुद तोड़ रहे अपने घर

लखीमपुर खीरी: उत्तराखंड और नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बारिश का सीधा असर तराई के जिलों पर दिखने लगा है। शारदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से लखीमपुर खीरी जिले के गोला तहसील अंतर्गत करसौर गांव में तबाही का तांडव जारी है। ग्रामीणों के आशियाने नदी की तेज धारा में समाते जा रहे हैं और लोग मजबूरी में अपने घर खुद ही तोड़कर पलायन कर रहे हैं।

करसौर गांव के हालात इतने भयावह हो गए हैं कि कई परिवारों को अपने मकान की ईंटें निकालनी पड़ीं ताकि वो कम से कम कुछ सामान बचाकर ले जा सकें। बैलगाड़ियों और ट्रालियों में गृहस्थी समेट कर लोग ऊंचे स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। गांव के जिन लोगों के मकान नदी में समा चुके हैं, वे अब बेघर हो गए हैं और बाकी लोग हर पल अपने सिर पर संकट मंडराते देख रहे हैं।

यहां के मनोहर, जगतपाल, श्रीकृष्ण, सूबेदार, रामसेवक और अनूप जैसे ग्रामीणों के मकानों का बड़ा हिस्सा जलधारा में समा चुका है। कुछ लोग अब मलबा समेटने में जुटे हैं, तो कुछ अंतिम विदाई जैसा दृश्य अपनी जमीन से देख रहे हैं। गांव की कई एकड़ कृषि भूमि भी नदी की चपेट में आ चुकी है, जिससे न सिर्फ घर, बल्कि रोज़गार और फसल का भी भारी नुकसान हो रहा है।

स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन पर उदासीनता का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अभी तक न तो कटान रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया गया है और न ही उन्हें किसी प्रकार की राहत सामग्री मुहैया कराई गई है। प्रशासन का कहना है कि यह इलाका ‘डूब क्षेत्र’ में आता है, जहां कोई स्थायी परियोजना नहीं बनाई जा सकती। ऐसे में ग्रामीणों की समस्या का कोई स्थायी समाधान नजर नहीं आ रहा।

इस संकट की घड़ी में भाजपा विधायक अमन गिरी और सांसद उत्कर्ष वर्मा प्रभावितों से मिलने पहुंचे जरूर, लेकिन लोगों को इस बात का गहरा मलाल है कि केवल औपचारिकता निभाई जा रही है।

शारदा नदी के विकराल रूप ने गांव के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले कुछ ही दिनों में पूरा गांव इतिहास बन सकता है। प्रशासनिक उदासीनता और सरकारी मदद के अभाव में करसौर के लोग अपने भाग्य पर आंसू बहाने को मजबूर हैं।