“शिव नाम जप से मिटते पाप, प्रद्युम्न कृष्ण महाराज ने गौशाला में किया कथा का रसपान”

कुशीनगर। शिव कैलाश परिवार के तत्वावधान में पडरौना के श्री पिंजरापोल गौशाला परिसर में चल रहे श्री शिव महापुराण के चौथे दिन वृंदावन से पधारे कथावाचक प्रद्युम्न कृष्ण महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवान शिव के महिमा से रसपान कराया। व्यास पीठ से कथा की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए कथावाचक ने कहा कि शिव नाम की महिमा अपार है। यह पापों का नाश करने वाला, भवसागर से पार लगाने वाला, मन को शांति देने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला है। उन्होंने बताया कि ‘शि’ (पाप नाशक) और ‘व’ (मुक्ति दाता) से शिव शब्द बना है और कलियुग में यह सर्वश्रेष्ठ साधन है जो हर किसी का उद्धार कर सकता है, चाहे वह पापी, पतित या अंत्यज ही क्यों न हो।

कथावाचक ने माता पार्वती और देवी सती के अवतार की कथा सुनाते हुए बताया कि माता सती ने अपने पति भगवान शिव के अपमान से दुखी होकर यज्ञ की अग्नि में प्रवेश किया। अगले जन्म में उन्होंने हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया और कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पुनः प्राप्त किया। इस पुनर्मिलन से सृष्टि का कल्याण हुआ। प्रद्युम्न कृष्ण महाराज ने कहा कि माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए जो तपस्या की, उसके फलस्वरूप शिवजी प्रसन्न हुए।

इस अवसर पर शिव कैलाश परिवार के कुलदीप, राजकुमार, श्यामू, विक्की, अमन, मनीष गोयल, सुमित, शिव शंकर, श्री पिंजरापोल गौशाला के अध्यक्ष सावर गोयल, मंत्री अखिलेश गोयल, प्रदीप गोयल, रमेश कनोडिया, अशोक अग्रवाल सहित हजारों श्रद्धालु महिला और पुरुष उपस्थित रहे।