बिना परमिशन लगाए गए गगनचुंबी झूले और मौत का कुआं बने विवाद का कारण

सिंगाही (खीरी)।सिंगाही में महारानी सूरथ कुमारी रामलीला समिति और श्री रामलीला मेला समिति के बीच चल रहा विवाद लगातार गहराता जा रहा है। दोनों समितियों के बीच तनातनी अब कानूनी दायरे में पहुंच चुकी है। श्री रामलीला मेला समिति ने मुख्यमंत्री पोर्टल (आईजीआरएस) और जिलाधिकारी खीरी को शिकायत भेजकर सोशल ऑडिट कराने और मेले की अनियमितताओं की जांच की मांग की है।

समिति के अध्यक्ष राहुल विक्रम शाह ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि महारानी सूरथ कुमारी रामलीला समिति पिछले 11 वर्षों से मेले का आयोजन करती आ रही है, लेकिन न तो पारदर्शी लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जा रहा है और न ही किसी प्रकार का सोशल ऑडिट कराया गया है। उन्होंने कहा कि समिति द्वारा दुकानदारों और व्यापारियों से वसूली की जाती है, मगर आमदनी-खर्च का कोई ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया जाता।

इसके अलावा, शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि 23 अक्टूबर को बिना किसी आधिकारिक अनुमति के मेला भूमि का भूमि पूजन किया गया और प्रशासनिक गाइडलाइन की खुली अनदेखी की गई।

बिना अनुमति लगे झूले और मौत का कुआं
सूत्रों के अनुसार, नगर पंचायत की अनुमति से मेला मैदान पर आयोजन की इजाजत दी गई, लेकिन समिति ने नियमों की अवहेलना करते हुए अपनी आय बढ़ाने के लिए गगनचुंबी झूले, मौत का कुआं, सर्कस और अन्य खतरनाक खेलों का आयोजन कर दिया है। इन खेलों के लिए किसी प्रकार की सुरक्षा या तकनीकी स्वीकृति नहीं ली गई।

प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
निघासन के उपजिलाधिकारी राजीव निगम से जब मीडिया ने इस विषय पर जानकारी लेने की कोशिश की, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उनके फोन करने पर भी उन्होंने कॉल रिसीव करना उचित नहीं समझा। प्रशासन की यह चुप्पी स्थानीय लोगों के बीच सवाल खड़े कर रही है कि आखिर बिना परमिशन के इस तरह के आयोजन कैसे संभव हुए।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि प्रशासन और नगर पंचायत की ओर से कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो यह मामला और भी गंभीर रूप ले सकता है। वहीं दूसरी ओर, शिकायतकर्ता समिति का कहना है कि जब तक सोशल ऑडिट और प्रशासनिक जांच नहीं होती, तब तक वे अपनी मुहिम जारी रखेंगे।