
सिंगाही (खीरी), 22 जुलाई। स्थानीय कस्बे में स्थित पशु चिकित्सालय एक साल से ताले में बंद है। कारण – यहां डॉक्टर की तैनाती नहीं हुई। बीते 30 जून को यहां के पशु चिकित्सक डॉ. ए.के. पटेल का तबादला हो गया और उसके बाद से अब तक किसी भी नए डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई। 31 जनवरी को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुरेश चन्द्र सक्सेना के सेवानिवृत्त होने के बाद अस्पताल पर ताला लगा दिया गया, जो आज तक नहीं खुला।
इस स्थिति के चलते पशुपालक इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। पशुओं की बीमारियों का समय पर इलाज नहीं हो पा रहा है, जिससे उनकी हालत खराब हो रही है और कई बार जान भी जा रही है।
तहसील के अन्य अस्पताल भी बीमार
यह अकेला मामला नहीं है, बल्कि तहसील क्षेत्र के अन्य पशु चिकित्सालय भी बिना डॉक्टर और पर्याप्त स्टाफ के बदहाली में चल रहे हैं।
निघासन पशु चिकित्सालय: केवल फार्मासिस्ट सियाराम राणा के सहारे
तिकुनिया: केवल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी गुलाब सिंह
बेलपरसुआ: केवल कर्मचारी ठगीराम के भरोसे
इन अस्पतालों में डॉक्टर की गैरमौजूदगी गौशालाओं की व्यवस्था पर भी भारी पड़ रही है। बीमार पशुओं को न तो समय पर इलाज मिल पा रहा है और न ही विशेषज्ञ देखभाल। इससे ना केवल पशु मर रहे हैं, बल्कि सरकार की पशु संवर्धन योजनाएं भी ठप पड़ी हैं।
नीमगांव के पशु चिकित्सक डॉ. सौरभ सिंघई ने बताया कि उनके पास सिंगाही, निघासन, तिकुनिया, बेलपरसुआ सहित छह अस्पतालों का चार्ज है। ऐसे में नियमित उपस्थिति संभव नहीं। स्टाफ की भारी कमी है, लेकिन फिर भी भरसक प्रयास किया जा रहा है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ. दिनेश सचान ने बताया कि जिले में डॉक्टरों की भारी कमी है। शासन को पत्र भेजा गया है, जैसे ही नए डॉक्टरों की नियुक्ति होगी, तैनाती की जाएगी।