
सिरौलीगौसपुर, बाराबंकी। जब-जब धरती पर अधर्म का बोलबाला होता है, तब-तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेकर अधर्म का नाश करते हैं और धर्म की विजय होती है। यह विचार मानस मर्मज्ञ कथावाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज ने श्रीराम कथा में व्यक्त किया।
उन्होंने बताया कि भगवान चारों दिशाओं में व्याप्त हैं और सच्चे मन से भक्ति करने पर कहीं भी प्रकट हो सकते हैं। त्रेता युग में असुरों की शक्ति बढ़ने पर माता कौशल्या की कोख से भगवान राम का जन्म हुआ। श्री भारद्वाज ने कहा कि भगवान निरगुण से सगुण रूप में भक्त के प्रेम के अनुसार प्रकट होते हैं।
कथा में धर्म और सम्प्रदाय में अंतर को समझाया गया। धर्म व्यक्ति के भीतर एकजुटता का भाव पैदा करता है, जबकि सम्प्रदाय व्यक्ति को बाहरी रूप से सीमित करता है। श्री भारद्वाज ने बताया कि ईश्वर के विभिन्न रूपों को स्मरण करना सनातन धर्म का मूल तत्व है।
उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के अवतार का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों ने असुरों का नाश करके धर्म की रक्षा की। श्री भारद्वाज ने देश की युवा पीढ़ी पर चिंता जताई और माताओं से आग्रह किया कि गर्भावस्था के दौरान बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए सात्विक भोजन, सही चिन्तन और भगवान का सुमिरन आवश्यक है।
कथा में भगवान राम के जन्म की व्याख्या के समय जैसे ही भजन गया, श्रोता झूम उठे और पाण्डाल में राममय वातावरण बन गया। भक्त महिलाओं ने बधाई गीत गाकर पूरे पाण्डाल को पुष्पों की वर्षा से आच्छादित किया।
इस कथा कार्यक्रम में केदारनाथ वैश्य, नगर पंचायत टिकैतनगर चेयरमैन जगदीश प्रसाद गुप्ता, रमेश चंद्र वैश्य सहित हजारों नगरवासियों ने श्रीराम कथा का श्रवण किया।