जेल से बचपन को आज़ादी दिलाने निकली सबसे छोटी कांवड़, 10 इंच के ट्रैक्टर पर विराजे महादेव!

जेल से बचपन को आज़ादी दिलाने निकली सबसे छोटी कांवड़, 10 इंच के ट्रैक्टर पर विराजे महादेव

बागपत। सावन की पवित्र कांवड़ यात्रा इस बार केवल आस्था नहीं, एक सामाजिक चेतना का संदेश भी लेकर चल रही है। हरियाणा के सोनीपत जिले के खांडा गांव से आए सगे भाई विजय और वीरेंद्र ने सिर्फ 10 इंच की कांवड़ के साथ यात्रा शुरू की है, लेकिन उनका उद्देश्य बेहद बड़ा और मार्मिक है — बचपन को डिजिटल जेल यानी मोबाइल की लत से आज़ादी दिलाना।

इस अनोखी कांवड़ में दो शिवलिंग, डमरू, भस्म, गंगाजल के दो केन, एक छोटा चश्मा (कमजोर होती आंखों की चेतावनी), एक जलती कृत्रिम लौ (बुझती मासूमियत का प्रतीक) और एक खिलौने जैसा मोबाइल फोन रखा गया है — जो दर्शाता है कि आज का बचपन उसी में कैद हो चुका है।

कांवड़िए विजय ने बताया, “हमने देखा है कि बच्चे अब मैदान में नहीं, मोबाइल स्क्रीन में खो गए हैं। खेल, कहानियां, परिवार से संवाद सब खत्म हो गया है। कई बच्चों की आंखें कमजोर हो गई हैं, कुछ तनाव के शिकार हो रहे हैं और कुछ ने तो जान भी गंवाई है।”

जब लोगों ने कांवड़ में खिलौना मोबाइल देखा, तो चौंक उठे। विजय और वीरेंद्र ने समझाया — “ये मोबाइल नहीं, बचपन की जंजीर है।”

उन्होंने यात्रा के माध्यम से सभी माता-पिता से अपील की —
“बचपन लौटाइए, मोबाइल हटाइए, बच्चों को फिर से मिट्टी, मैदान और मस्ती में लौटाइए। यही सच्चा उपवास है, यही सच्ची भक्ति।”

उनकी ये छोटी सी कांवड़, एक बड़ी सोच और सामाजिक बदलाव का संदेश लेकर आगे बढ़ रही है — भोलेनाथ की भक्ति के साथ बालमन की रक्षा की पुकार।