
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त तीन विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। निष्कासित विधायकों में अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक अभय सिंह, अमेठी की गौरीगंज सीट से विधायक राकेश प्रताप सिंह और रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज कुमार पांडेय शामिल हैं। इन तीनों नेताओं पर लंबे समय से पार्टी लाइन के खिलाफ काम करने के आरोप लगते रहे हैं। फरवरी 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान इन तीनों ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी, जिससे सपा के तीसरे उम्मीदवार की हार हो गई थी और भाजपा को सभी आठ सीटें मिल गई थीं।
इस बगावत के बाद से ही पार्टी के भीतर इन विधायकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चर्चा तेज थी। पहले माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कराने की मांग करेगी, लेकिन ऐसा न करते हुए पार्टी ने सिर्फ इन्हें निष्कासित किया है। इसका मतलब यह है कि अब ये विधायक विधानसभा में असंबद्ध माने जाएंगे और न तो सपा के खेमे में बैठेंगे और न भाजपा के। इनकी विधायकी बरकरार रहेगी।
अभय सिंह ने 2012 में पहली बार सपा से विधायक बनने के बाद 2022 में दोबारा जीत हासिल की। पहले वे मुख्तार अंसारी के करीबी माने जाते थे, लेकिन बाद में रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के साथ उनका संबंध मजबूत हुआ। उन्होंने खुलकर भाजपा के समर्थन में बयान दिए और राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की। राकेश प्रताप सिंह ने 2012, 2017 और 2022 में सपा के टिकट से लगातार जीत हासिल की। एक सक्रिय और संघर्षशील नेता के तौर पर पहचान रखने वाले राकेश सिंह ने हाल में दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी, जिससे उनके भाजपा में जाने की अटकलें और तेज हो गई थीं।
मनोज पांडेय रायबरेली की ऊंचाहार सीट से चार बार विधायक रहे हैं और पार्टी के प्रमुख ब्राह्मण चेहरों में गिने जाते थे। वे सपा विधायक दल के मुख्य सचेतक भी रहे। लेकिन राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भी पार्टी से बगावत की और भाजपा के मंचों पर सक्रिय नजर आए। रायबरेली में उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी के खिलाफ प्रचार भी किया, जिससे उनकी भूमिका पार्टी विरोधी मानी गई।
सपा प्रवक्ता फकरुल हसन चांद ने बताया कि इन तीनों विधायकों को पार्टी ने पर्याप्त मौका दिया, लेकिन जब वे बार-बार चेतावनी के बावजूद भाजपा के साथ मंच साझा करते रहे, तो पार्टी को यह कड़ा फैसला लेना पड़ा। हालांकि अन्य चार बागी विधायक—पूजा पाल, आशुतोष मौर्य, विनोद चतुर्वेदी और राकेश पांडेय—पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पार्टी का मानना है कि इन चारों ने अपनी-अपनी परिस्थितियां और मजबूरियां बताई थीं और सार्वजनिक मंचों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में कम शामिल हुए हैं।
तीनों विधायकों के निष्कासन के बाद यह साफ हो गया है कि सपा अब बगावती रुख अपनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मूड में है। पार्टी का यह कदम आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र अपनी राजनीतिक स्थिति को स्पष्ट करने और अनुशासन की नई लकीर खींचने की दिशा में देखा जा रहा है।