नई दिल्ली। अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की पूरी तरह से वापसी के बाद तालिबान ने काबुल के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले लिया है। इस दौरान वहां पर खड़े होकर, तालिबान नेताओं ने देश को सुरक्षित करने, हवाईअड्डे को फिर से खोलने और पूर्व प्रतिद्वंद्वियों को माफी देने का संकल्प जताया। एयरपोर्ट को फिर से चालू करना तालिबान के सामने 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश पर शासन करने की बड़ी चुनौतियों में से एक है, जो दो दशकों से अरबों डॉलर की विदेशी सहायता पर टिका हुआ था।
कुछ की वापसी होना बाकी
इस बीच, अधिकांश अफगान सिख और हिंदू जो पिछले दो सप्ताह से काबुल के पास कर्ता-ए-परवान में गुरुद्वारा दशमेश पिता में शरण लिए हुए थे वे अफगानिस्तान में अपने गृहनगर लौट चुके हैं। लोगों ने अपना कामकाज फिर से शुरू कर दिया है। हालांकि कुछ परिवार अब भी गुरुद्वारे में हैं।
तालिबान कमांडरों ने दिया आश्वासन
टाइम्स ऑफ इंडिया ने कॉस्मेटिक्स की दुकान चलाने वाले काबुल के एक सिख के हवाले से बताया। काबुल में करीब 40 अफगान सिख और हिंदू दुकानें चलाते हैं और अपना कामधंधा करते हैं। वे अब काम पर लौटने लगे हैं। मेरे भाई का भारतीय फार्मा के साथ दवाओं का थोक कारोबार है और वह काम पर वापस आ गया है। तालिबान कमांडरों ने हमें सुरक्षा का आश्वासन दिया है और हमें काम शुरू करने को कहा है। लिहाजा हमने अभी अपनी दुकानें खोल दी हैं।”
यह रिपोर्ट, तालिबान प्रवक्ता ज़ाहेबुल्लाह मुजाहिद के उस बयान के बीच सामने आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि जिन 140 अफगान सिखों और हिंदुओं के एक समूह को काबुल हवाई अड्डे तक पहुंचने से रोका गया था उन्हें देश छोड़ने की अनुमति दी जा सकती है।