चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि वो कितनी अच्छी आदतों को अपनाता है. अच्छी आदतों को अपनाने वाला व्यक्ति सदैव ही सफलता प्राप्त करता है. वहीं गलत आदतें व्यक्ति का मान सम्मान और धन को नष्ट करती हैं. इन गलत आदतों से दूर रहना चाहिए. गलत आदतों को अपनाने व्यक्ति से लक्ष्मी जी भी प्रसन्न नहीं होती हैं. समय आने पर ऐसे लोग परेशानी और कष्ट उठाते हैं.
अहंकार से दूर रहें
गीता के उपदेश में भी कहा गया है कि अहंकार व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है. अहंकार के कारण ही रावण का पतन हुआ है. रावण के बारे में सभी जानते हैं कि वह कितना बलशाली और विद्वान था, लेकिन अहंकारी था. अहंकार के कारण ही उसकी सोने की लंका नष्ट हो गई. इसलिए अहंकार से दूर रहना चाहिए. अहंकारी व्यक्ति को समाज में अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है. समय आने पर अहंकारी व्यक्ति को कष्ट भोगने पड़ते हैं. अहंकारी व्यक्ति का लक्ष्मी जी भी साथ छोड़ देती हैं.
झूठ का सहारा न लें
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को कभी अपने स्वार्थ के लिए झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए. झूठ बोलने वाला व्यक्ति एक बार तो अपने मकसद में सफल हो सकता है लेकिन जब उसके झूठ का राज खुलता है तो उसे शर्मिंदा होना पड़ता है. झूठ बोलने वाला व्यक्ति हमेशा परेशान रहता है. क्योंकि उसे इस बात का डर हमेशा बना रहता है कि कहीं कोई उसके झूठ को जान न लें.
किसी को धोखा न दें
धोखा देना बुरी बात है. धोखा देने वाला व्यक्ति किसी का प्रिय नहीं होता है. धोखा देने वाला व्यक्ति सदैव अपने स्वार्थ के बारे में सोचता है. ऐसे लोगों की सच्चाई जब समाज के सामने आती है तो लोग इनसे दूरी बनाने में ही अपनी भलाई समझते हैं. इसलिए किसी को धोखा नहीं देना चाहिए. धोखा देने वाले व्यक्ति से हर कोई सर्तक रहता है. जब बुरा वक्त आता है तो ऐसे लोगों के लिए कोई मदद के लिए भी खड़ा नहीं होता है. समय आने पर ऐसे लोग अलग थलग पड़ जाते हैं.