एक महिला की जिंदगी में शादी होने के बाद कई बदलाव हो जाते हैं. उनके ऊपर परिवार की कई जिम्मेदारियां आ जाती हैं. खासतौर से मां बनने के बाद जिम्मेदारियों का बोझ और बढ़ जाता है. इन सबके बावजूद कई महिलाएं पढ़ाई जारी रखकर सफलता हासिल कर लेती हैं. ऐसी ही कहानी पटना की डॉ. अनुपमा सिंह की है, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को तमाम मुश्किलों के बाद भी पास करने की ठान ली थी. इसके लिए उन्हें अपने मासूम बच्चे और परिवार से दूर भी रहना पड़ा, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और वे परीक्षा पास कर गईं. आइए आज अनुपमा की सफलता की कहानी के बारे में जानते हैं.
12वीं के बाद एमबीबीएस में हुआ था सिलेक्शन
अनुपमा बिहार के पटना की रहने वाली हैं और उनकी 12वीं तक की पढ़ाई भी यहीं से हुई. वे पढ़ने में काफी होशियार थीं और 12वीं के बाद उन्होंने एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा दी और सिलेक्ट हो गईं. उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया. इसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) की डिग्री हासिल कर ली. इसके बाद उनका विवाह हो गया और कुछ समय बाद उन्होंने बेटे अनय को जन्म दिया. मां बनने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी.
अस्पतालों की हालत देख यूपीएससी में जाने की ठानी
अनुपमा ने यूपीएससी परीक्षा पास करने के बारे में तब सोचा, जब उन्होंने सरकारी अस्पतालों की बदहाली देखी. इन हालातों को आईएएस अफसर बनकर सुधारने की सोची. इस विचार के साथ अनुपमा ने यूपीएससी परीक्षा देने की सोची और बच्चे को छोड़कर तैयारी के लिए दूसरे शहर जाने का फैसला लिया. यह उनकी जिंदगी का सबसे कठिन फैसला था.
दिल्ली जाकर पहली ही कोशिश में झोंक दी पूरी ताकत
अनुपमा अपने बच्चे को छोड़कर कोचिंग करने दिल्ली आई थीं, ऐसे में उनके पास वक्त काफी कम था. उन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में पूरी ताकत झोंक दी. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी नौकरी भी इस परीक्षा के लिए दांव पर लगा दी थी. बच्चे को छोड़कर दूसरे शहर आने का फैसला तो अनुपमा ने ले लिया था पर अपने अंदर की मां को नहीं समझा पा रही थी. नतीजा यह हुआ कि दिल्ली शिफ्ट होने के कुछ समय बाद ही वे दिन-रात बस रोती रहती थीं. जैसे-तैसे पति और ननद के सपोर्ट से उन्होंने खुद को संभाला और तैयारी में लग गईं.
अन्य उम्मीदवारों को देती हैं यह सलाह
अनुपमा के मुताबिक यूपीएससी परीक्षा में सफलता के लिए सेल्फ स्टडी सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके अलावा नोट्स बनाना, न्यूज पेपर पढ़ना भी काफी जरूरी है. वे कहती हैं कि अपने सपनों को कभी मत छोड़ो और यह याद रखो की अगर ईश्वर आपको सपने देखने की हिम्मत देता है तो उन्हें पूरा करने की शक्ति भी देगा. बस खुद पर विश्वास रखो नामुमकिन कुछ भी नहीं है.