लखनऊ: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अभी प्रस्तावित हैं. सत्तापक्ष के साथ विपक्ष ने भी चुनाव को लेकर अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. विधानसभा चुनाव के पहले होने वाले इस चुनाव को ‘सेमीफाइनल’ माना जा रहा है. इसीलिए सभी विपक्षी पार्टियां इसमें अपनी ताकत दिखाने के लिए मजबूती से लग गई हैं. सभी दल अपने-अपने ढंग से चुनाव की तैयारियों में लगे.
हालांकि कौन सी पार्टी किस स्तर पर अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी, अभी यह तय नहीं हो पाया है. लेकिन एक बात है कि सभी ने अभी पंचायत सदस्यों के चुनाव पर ही फोकस किया हुआ है, क्योंकि ज्यादा निचले स्तर पर ज्यादा दखल देने से गुटबाजी के कयास लगाए जा रहे हैं.
समाजवादी पार्टी किसान मुद्दे पर चल रहे विरोध प्रदर्शन के जारिए गांव-गांव में चौपाल लगाकर अपनी पैठ बनाने में जुटी हुई है. उसके लिए यह बड़ी परीक्षा है, क्योंकि उपचुनाव में परिणाम पार्टी के अनुकूल कम था. पिछले पंचायत चुनाव में सपा का अधिकतर सीटों पर कब्जा था. पार्टी की ओर से जिलाध्यक्ष और पुराने जनप्रतिनिधियों को कील-कांटे दुरुस्त करने को कहा गया है. पार्टी का फोकस जिला पंचायत पर ज्यादा रहेगा. संगठन व जनप्रतिनिधियों के साथ ताल-मेल बिठाकर तैयारी की जा रही है. सपा किसी भी कीमत में इसमें अधिकतम सीटों पर जीत हासिल करने के फिराक में है.
सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला लगाने की भी चर्चा
सपा के एमएलसी सुनील साजन का कहना है कि पंचायत चुनाव में अभी पार्टी ने सिंबल देने के लिए तय नहीं किया है. हमारी कोशिश है बड़ी संख्या में जिला पंचायत, ग्राम प्रधान, बीडीसी ज्यादा से ज्यदा संख्या में जीते. आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी के चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी पार्टियों को चुनाव लड़ने की आजादी है, लेकिन सपा की अपनी बूथ लेवल पर तैयारी है. बहुजन समाज पार्टी ने भी पंचायत चुनाव को लेकर तैयारी शुरू की है. उसने जिलाध्याक्षों और मंडल प्रभारियों से चुनाव लड़ने वाले आवेदकों की फाइनल सूची बनाने को कहा गया है. साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रत्याशी चयन के लिए सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला लगाने की बात कही जा रही है.
कांग्रेस भी अपना खोया हुआ जनाधार फिर से पाने की जद्दोजहद में शिद्दत से लगी हुई है. कांग्रेस ने पंचायत चुनाव को देखते हुए जिलों में बैठकों का सिलसिला शुरू किया है. कांग्रेस पार्टी के प्रशासन प्रभारी सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव कहते हैं, “कांग्रेस पंचायत चुनाव की तैयारी कर रही है. इसके लिए प्रभारी बनाए गए हैं. वोटर लिस्टों का निरीक्षण करने के लिए जिलाध्यक्षों को लगाया गया है. गड़बड़ियों को ठीक कराया जा रहा है. हम संगठन को विस्तार देने में लगे हैं. हमारा संगठन संघर्ष के माध्यम से न्याय पंचायत तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं. दूसरे राज्यों की पार्टियों से कांग्रेस को कोई चुनौती नहीं है.” उधर, बीजेपी सरकार में मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर भी अपनी पार्टी को पंचायत चुनाव के लिए सक्रिय किए हुए हैं. वह चुनाव की जिम्मेदारी संभालने को खुद मैदान में डटे हुए हैं.