स्वामी हरिदास के लाड़ले प्रिया-प्रियतम को मधुर स्वरांजलि, मधुकर ने शास्त्रीय संगीतमय रीति से किया बधाई गायन

वृन्दावन। संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास के लाड़ले बांकेबिहारी महाराज के प्राकट्योत्सव पर्व पर निधिवन राज में भक्ति, रस, माधुर्य और संगीत का अलौकिक संगम देखने को मिला। ब्रज रसिक गायक जेएसआर मधुकर ने शास्त्रीय संगीतमय बधाई गायन के माध्यम से प्रिया-प्रियतम को रिझाया तो वहीं देश-विदेश से आए भक्तजन इस दिव्य अवसर के साक्षी बनने को आतुर और उत्साहित दिखे। पूरे वातावरण में ऐसा दिव्य रस घुला कि सुनने वाले भक्त भाव-विभोर होकर प्रभु माधुरी में लीन हो गए।

निधिवन राज में हुए इस संगीतमय आयोजन में मधुकर ने अपनी गायकी से वह रस-धारा प्रवाहित की, जिसने स्वामी हरिदास की अनादि शास्त्रीय परंपरा को जीवंत कर दिया। उन्होंने मन मेरा भज ले कुंज बिहारी, जय-जय ललित किशोरी नमो नमः, प्यारी जू जब-जब देखूं तेरो मुख, माई री सहज जोरी प्रकट भई, सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गई अखियां, सपने में सजन से दो बातें, मनमोहन बड़े झूठे, मनमोहन मुरली बजा के खुद जाने कहां छुप गया, अपने पिया की मैं बन गई जोगनिया, मेरे श्याम ने बंसी बजाई तो बुद्ध विसर गई, पिया सौं नैंन मिलाए आई रे, हमारी माई श्यामा जु कौ राज जैसे मधुर भजनों से श्रोता-भक्तों को रससिक्त कर दिया।

हर पद में प्रेम, प्रीति, मिलन, विरह और माधुर्य का ब्रजमय रंग स्पष्ट झलक रहा था। प्रभु के प्राकट्य की बधाई के दौरान भक्तजन भावविभोर होकर झूम उठे और पूरा परिसर भक्ति-रस की अनोखी अनुभूति से भर गया। गायन में भावना सखी, शशि सखी, लक्ष्य मधुकर और मयंक मधुकर ने अपना सहयोग प्रदान किया, जिससे संगीत की छटा और भी निखर उठी।

आयोजन में जयपुर से पधारी गुरु रेखा ने अपने नृत्य गुरु के साथ मधुकर द्वारा गाए गए भजनों पर मनोहारी नृत्य प्रस्तुत कर समा बांध दिया। उनके भावपूर्ण नृत्य ने उपस्थित भक्तों को और भी अधिक आनंदित कर दिया और पूरा वातावरण “रसिकस्य रसिकस्य” की अनुगूँज से भर गया।

इस मंगल अवसर पर सेवा अधिकारी भीकचंद्र गोस्वामी और रोहित गोस्वामी ने मधुकर और उनकी टीम को स्वामी हरिदास के अंगवस्त्र एवं प्रसादी भेंट कर सम्मानित किया। यह सम्मान न सिर्फ कलाकारों के लिए गौरव का क्षण था, बल्कि इस कार्यक्रम की आध्यात्मिक गरिमा को भी और अधिक बढ़ाने वाला रहा।

कार्यक्रम में अखिल दास बड़े पुजारी, फूलडोल दास बाबा, अशोक अग्रवाल, हरीश कोहली, सुरेश चतुर्वेदी, श्याम सुंदर बेरीवाल, विनोद अग्रवाल सहित अनेक भक्तजन उपस्थित रहे। सभी ने इस प्राकट्योत्सव को अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय अनुभव बताते हुए कहा कि मधुकर की रसपूर्ण गायकी और स्वामी हरिदास की परंपरा का यह सुरीला संगम उन्हें सदैव स्मरण रहेगा।

निधिवन राज में सम्पन्न यह आयोजन ब्रज की उस अनंत विरासत की पुनर्पुष्टि करता है, जिसमें प्रेम ही आधार, भक्ति ही साधना और संगीत ही माध्यम है—और जिसमें बांकेबिहारी स्वयं रस के रसिक राज हैं।