तक्षशिला में गुरुओं और साहिबज़ादों के बलिदान को किया गया नमन, हिंदू-सिख एकता की ऐतिहासिक गाथा हुई जीवंत

लखीमपुर खीरी। क्रूर मुगल सल्तनत के अत्याचारों के विरुद्ध सनातन धर्म की दो अटूट धाराओं हिंदू और सिख समाज द्वारा किए गए ऐतिहासिक साझा संघर्ष को स्मरण करते हुए तक्षशिला विश्वविद्यापीठ, लखीमपुर खीरी में गुरुओं और साहिबज़ादों के बलिदान को श्रद्धापूर्वक याद किया गया। यह आयोजन भारतीय इतिहास में हिंदू-सिख एकता, त्याग और पराक्रम की उस महान परंपरा को समर्पित रहा, जिसने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिए।
कार्यक्रम में बताया गया कि महान हिन्दू क्षत्रिय बाबा हरिदास और माता अनूप कौर के पुत्र तथा सिखों के चौथे गुरु रामदास से लेकर उनके वंशज गुरु अर्जन देव, गुरु हरगोविंद सिंह, गुरु हर राय, गुरु हरकृष्ण, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह तक सभी गुरुओं ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन और परिवार का बलिदान दिया। इन बलिदानों की श्रृंखला में बाबा बंदा बहादुर, बाबा टोडरमल जैसे अनेक हिंदू योद्धाओं का योगदान भी अविस्मरणीय रहा।
दशमेश गुरु श्री गोविंद सिंह जी के चार साहिबज़ादों—बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह—साथ ही माता गुजरी जी का बलिदान इस संघर्ष की चरम परिणति रहा। चमकौर के युद्ध में बड़े साहिबज़ादों ने वीरगति प्राप्त की, जबकि छोटे साहिबज़ादों को सरहिंद में दीवार में चिनवाकर शहीद कर दिया गया। माता गुजरी जी ने भी अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। हिंदू योद्धा बाबा टोडरमल द्वारा स्वर्ण मुद्राओं से भूमि घेरकर अंतिम संस्कार कराना हिंदू-सिख एकता का ऐतिहासिक प्रतीक बना।
कार्यक्रम में खालसा पंथ की स्थापना, आनंदपुर साहिब, भंगानी युद्ध, चमकौर और मुक्तसर जैसे युद्धों में हिंदू-सिख संयुक्त पराक्रम का विस्तार से वर्णन किया गया। बताया गया कि वेदों की ऋचाएं और गुरबानी एक स्वर में गूंजीं और भगवा ध्वज तथा खंडा एक साथ लहराए। इस साझा संघर्ष ने मुगल सल्तनत की नींव को हिला दिया।
गत 28 दिसंबर 2025 को आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में स्थानीय गुरुद्वारे से पधारे शिष्ट मंडल ने गुरबानी का पाठ किया। इसके पश्चात गुरुकुल के छात्रों और क्षेत्रवासियों को गुरुओं एवं साहिबज़ादों के बलिदानों का ऐतिहासिक महत्व बताया गया। कार्यक्रम के अंत में “चार साहिबज़ादे” फिल्म का प्रदर्शन कर उपस्थित श्रद्धालुओं को वास्तविक इतिहास से अवगत कराया गया।
कार्यक्रम का संयोजन कुलदीप रूपम, सरदार बाबा सिंह, बख्शीश सिंह, जगतार सिंह और सतनाम सिंह ने किया। इंजीनियर रवि सिंह ने गुरुकुल की ओर से विशेष अरदास कर कथावाचकों का सम्मान किया। एडवोकेट राहुल तिवारी, मनोज श्रीवास्तव, रिंकू सिंह, अंकित मेहरोत्रा सहित अनेक गणमान्य लोगों ने लंगर सेवा में सहयोग प्रदान किया। दूरस्थ स्थानों से भी श्रद्धालुओं ने योगदान दिया। कार्यक्रम के समापन पर आचार्य श्रीवृत्त ने सभी आगंतुकों और सेवादारों का आभार व्यक्त किया।