Bihar News: तेजस्वी की चाल, मोदी के मुद्दे को ही बना दिया मास्टरस्ट्रोक!

Bihar News: जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है। आरोप-प्रत्यारोप, बयानबाज़ी और अब मां को लेकर राजनीति! बता दे की बीजेपी और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के बीच ज़ुबानी जंग अपने चरम पर है। हाल ही में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से कहा कि “जिस मां का अब शरीर भी नहीं है, उसे कांग्रेस और आरजेडी के मंच से गालियां दी गईं।”

Bihar News: बिहार चुनाव से पहले हुआ बड़ा खेल !

पीएम मोदी भावुक हो गए और इस बयान ने पूरे राजनीतिक माहौल को बदलकर रख दिया।ये हमला सीधा था भावनाओं पर। और इसका असर दिखा भी। बीजेपी ने इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना लिया है। लेकिन जवाबी रणनीति में पीछे नहीं रहा विपक्ष।

दरअसल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने तुरंत अपना गेमप्लान बदला और ‘मां’ को एक नया रूप दे दिया आरजेडी नेता ने MAA योजना लाने का ऐलान किया और उन्होंने इसका मतलब भी समझाया. उन्होंने कहा कि एम से मकान, ए से अनाज और ए से आमदनी है. तेजस्वी बिहार की महलाओं को अक्ल मे नंबर वन बता रहे हैं और किसी भी तरह से उन्हें नाराज नहीं करना चाहते हैं

क्योंकि सूबे में महिला वोटर्स बड़ी भूमिका निभाते हैं.महिलाओं के लिए फील्डिंग यहीं नहीं रुकी। प्रियंका गांधी भी मैदान में उतर आईं। उन्होंने पटना में 2000 से ज्यादा महिलाओं से मुलाकात की और संभावित रूप से महिला केंद्रित चुनावी घोषणापत्र जारी करने की तैयारी में हैं। उनका फोकस खासकर ज़मीन से जुड़ी महिलाएं आशा वर्कर, मनरेगा मज़दूर, जीविका दीदियां और घरेलू महिलाएं हैं।

वहीं बीजेपी ने भी अपनी स्कीम निकाल ली है। पीएम मोदी ने ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत 75 लाख महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये ट्रांसफर करने का ऐलान किया है। बता दे की कुल बजट साढ़े सात हज़ार करोड़ रुपये।इस घोषणा के साथ नीतीश कुमार की महिला-फ्रेंडली छवि को फिर से उभारा गया है।

2005 से लेकर अब तक 50% आरक्षण, साइकिल योजना, कन्या उत्थान योजना और सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण — हर योजना ने महिलाओं को सशक्त किया है। तो सवाल ये नहीं है कि कौन सी पार्टी महिलाओं के लिए कुछ कर रही है, सवाल ये है कि… कौन सियासत में मां के नाम पर भावनाओं से खेल रहा है और कौन उन्हें हक़ दिलाने का दावा कर रहा है?

बता दे की बिहार में चुनाव सिर्फ वोट की नहीं, अब इज़्जत और भावना की भी लड़ाई बन चुका है। क्या आप भावनाओं से बह जाएंगे या योजनाओं को तौलेंगे? अपनी राय जरूर कमेंट करें