विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना का लक्ष्य हुआ पूरा: सहगल

  • ओडीओपी को 9046.89 लाख रुपये की मिली धनराशि

लखनऊ।  अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डा. नवनीत सहगल ने कहा है कि प्रदेश में पारंपरिक कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए संचालित विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लिए मौजूदा वित्तीय वर्ष में मिले बजट का पूरा उपयोग किया जा चुका है। वह भी वित्तीय वर्ष समाप्त होने से 2 माह पहले ही निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति की जा चुकी है।  शुक्रवार को अपने जारी बयान में उन्होंने कहा कि इस वर्ष अब तक योजना के तहत 20 हजार पारंपरिक कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया और उन्हें उन्नत किस्म के टूलकिट भी निःशुल्क उपलब्ध कराये गये।

उन्होंने बताया कि प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के पारम्परिक कारीगरों जैसे बढ़ई, दर्जी, टोकरी बुनकर, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई आदि के प्रोत्साहन एवं उनकी आय में वृद्धि के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना लागू की गई है। जिसमे कारीगरों को स्किल प्रशिक्षण एवं उन्नत टूलकिट उपलब्ध कराये जाने का प्राविधान है। साथ ही प्रशिक्षण अवधि में कारीगरों को प्रतिदिन 200 रुपये मानदेय दिये जानेे की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में शुरू हुई इस योजना से अब तक 50 हजार से अधिक हस्तशिल्पियों को लाभान्वित किया जा चुका है।

डा. सहगल ने बताया कि इसी प्रकार एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) कार्यक्रम के अन्तर्गत संचालित ओडीओपी कौशल उन्नयन एवं टूलकिट योजना के तहत निर्धारित लक्ष्य को भी प्राप्त कर लिया गया है।  डा. सहगल ने बताया कि ओडीओपी वित्त पोषण सहायता के तहत 9046.89 लाख रुपये की मार्जिन मनी स्वीकृत की जा चुकी है,