नई दिल्ली। सेना में महिलाओं के परमानेंट कमीशन को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भरतीय समाज पर कड़ी टिप्पणी दी है कोर्ट ने कहा कि ” भारत के समाज का ढांचा ऐसा है, जो पुरुषों के द्वारा और पुरुषों के लिए बना है” कोर्ट ने आगे कहा कि “यहां तक कि कुछ ऐसी चीजें हैं, जो कभी हार्मलेस नहीं लगती हैं, लेकिन पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कपट संकेत मिलते हैं।”
मेडिकल फिटनेस मापदंड मनमाने और तर्कहीन
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया है कि परमानेंट कमीशन के लिए महिला अफसरों के लिए जो मेडिकल फिटनेस मापदंड बनाए गए है वह मनमाना और तर्कहीन है। इस मामले को लेकर कहा कि आर्मी के मानक बेतुके और मनमाने हैं।
आर्मी के मानक बेतुके और मनमाने हैं
कोर्ट ने सेना को दो महीने के भीतर 650 महिलाओं की अर्जी पर पुनर्विचार करने को कहा जिससे उन्हें परमानेंट कमीशन दिया जा सके। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा कहा गया कि जिन आंकड़ों को रिकॉर्ड पर रखा गया है, वो केस के बेंचमार्किंग को पूरी तरह से ध्वस्त करते हैं।