अमर भारती : लखनऊ के हरदोई रोड स्थित मूसा बाग के निकट एक अंग्रेज सैनिक कैप्टन एफ वेल्स की मजार है। हिंदू और मुसलमानों की आस्था से जुड़ी एक तीसरे मजहब की यह मजार ‘कप्तान बाबा’ के नाम से विख्यात है। इनके मजार पर चादर के बदले सिगरेट चढ़ाई जाती है। माना जाता है कि कैप्टन वेल्स को सिगरेट पीने का बहुत शौक था। ऐसे में सिगरेट चढ़ाने पर बाबा प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी मुरादें पूरी कर देते हैं। इस चढ़ावे के कारण इन्हें सिगरेट वाले बाबा भी कहा जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां हर गुरुवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूराज से आते हैं और बाबा को खुश करने के लिए सिगरेट चढ़ाते हैं।
जब उनकी मुरादें पूरी हो जाती हैं तो कुछ लोग सिगरेट के साथ-साथ शराब भी चढ़ाते हैं। लोग बताते हैं कि इनका चढ़ावा तो अलग है ही, लेकिन सबसे खास बात यह है कि दो परस्पर भिन्न मान्यताओं वाले धर्म के लोग एक तीसरे मजहब के व्यक्ति को संत मानकर पूजा करते हैं। कैप्टन वेल्स की मजार कैप्टन एफ वेल्स ब्रिटिश सेना में कैप्टेन थे। 21 मार्च 1858 को मूसा बाग में अंग्रेज़ सैनिकों और अवध के स्वंत्रता सेनानियों के बीच युद्ध हुआ था। अंग्रेज़ों का नेतृत्व कर रहे कैप्टन वेल्स और अवध सेनानियों का नेतृत्व मौलवी अहमद उल्लाह शाह कर रहे थे।
बताया जाता है कि इस लड़ाई में ब्रिटिश सेना ने जीत हासिल की थी, लेकिन इस युद्ध में कैप्टेन वेल्स की मौत हो गई थी।
बाद में उनके दोस्त कैप्टन एलबी जोन्स ने यहां पर उनकी कब्र बनवाई। कब्र पर अभी भी एक पत्थर लगा हुआ है जिस पर 21 मार्च, 1858 की तारीख और कैप्टन वेल्स का नाम अंकित है। इससे पता चलता है कि यह मजार कैप्टन वेल्स यानि, कप्तान बाबा की है।
आखिर क्यो पड़ा इसका नाम मूसाबाग
मूसा बाग में नवाब आसफ़ुउद्दौला का समर पैलेस था।मूसा, जिन्होंने धरती पर आई प्रलय में एक कश्ती बनाकर अनेकों लोगों की जानें बचाई थीं। उन्हीं के नाम पर इसका नाम मूसा बाग पड़ा। इसके बाद अंग्रेजों ने ‘मोंज्योर बाग’ का नाम दिया.अवध की शान कहे जाने वाली मूसा बाग कोठी पर आज महज एक बाग रह गया है और कोठी नदारद है। इसका निर्माण आजमुद्दौला ने नवाब सआदत अली खां के लिए 1803-04 में करवाया था। हालांकि, महज 53 साल बाद आजादी के प्रथम युद्ध यानी, 1857 में गोला-बारूद से ध्वस्त कर दी गई। कहा जाता है कि कभी यहां पर हथियार रखे जाते थे।
आखिर क्यो श्रद्धालु यहां आकर सिगरेट चढ़ाकर मांगते है दुआ
ऐसा माना जाता रहा है कि कैप्टन वेल्स सिगरेट और शराब के बहुत शौकीन थे। यही वजह है कि उनकी मजार पर सिगरेट चढ़ाई जाती है। इस मजार की सबसे खास बात है यहा कें लोग बताते है कि इस बारे में कोई भी नहीं जानता कि इस अंग्रेज की कब्र पर पूजा कब और कैसे शुरू हुई। वहीं, कब से उन्हें संत का दर्जा दिया गया। हालांकि, कहानी चाहे जो भी हो, लेकिन लोगों की इस मजार के प्रति असीम आस्था है।जाती हैं तो वापस आकर महंगी शराब और सिगरेट दोनों चढ़ाते हैं।