भारतीय रंगमंच के स्तंभ रतन थियम नहीं रहे, ‘थिएटर ऑफ रूट्स’ आंदोलन के थे अगुआ

भारतीय नाटककार और प्रसिद्ध रंगमंच निर्देशक रतन थियम का बुधवार तड़के 1.30 बजे मणिपुर के इम्फाल स्थित रिम्स अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे। रंगमंच में अपने गहन योगदान के लिए पहचाने जाने वाले रतन थियम भारतीय रंगमंच के ‘थिएटर ऑफ रूट्स’ आंदोलन के अग्रणी हस्तियों में से एक थे।

उन्होंने पारंपरिक भारतीय नाट्यशास्त्र को समकालीन रंगमंच के साथ जोड़ा और भारतीय थिएटर की आत्मा को एक नया दृष्टिकोण दिया। उनके लिखे और निर्देशित नाटकों में ‘करणभारम्’, ‘इम्फाल इम्फाल’, ‘उत्तर प्रियदर्शी’ और ‘द किंग ऑफ़ डार्क चैंबर’ जैसे नाटकों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली।

रतन थियम को वर्ष 1987 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वे 2013 से 2017 तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के अध्यक्ष भी रहे।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर शोक जताते हुए लिखा—

“मैं अत्यंत दुःख के साथ भारतीय रंगमंच के एक सच्चे प्रकाशपुंज और मणिपुर के एक सम्मानित सपूत श्री रतन थियम के निधन पर अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। उनकी कला, दूरदर्शिता और मणिपुरी संस्कृति के प्रति समर्पण ने हमारी पहचान को समृद्ध किया। उनके कार्यों में मणिपुर की आत्मा बसती थी।”

मुख्यमंत्री ने आगे लिखा—

“ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। वे अपनी कृतियों और प्रेरणा से सदैव जीवित रहेंगे।”

साल 2023 में मणिपुर हिंसा के दौरान केंद्र सरकार द्वारा गठित 51 सदस्यीय शांति समिति में उन्हें शामिल किया गया था, परंतु उन्होंने इसमें सम्मिलित होने से इंकार कर दिया था।

रतन थियम का निधन भारतीय रंगमंच की दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन, उनके विचार और उनकी रचनाएँ लंबे समय तक रंगमंच प्रेमियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी।