पिछले सात साल से इस खेल के किसी खिलाड़ी को नहीं मिला है राष्ट्रीय पुरस्कार। 02 शतरंज कोच को ही अब तक द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला है। पिछले सात साल से किसी शतरंज खिलाड़ी को अर्जुन पुरस्कार नहीं मिला है।
दिग्गज विश्वनाथन आनंद को उम्मीद है कि शतरंज ओलंपियाड में भारतीय टीम के चैंपियन बनने के बाद अब अगले साल इस खेल से जुड़े किसी खिलाड़ी को राष्ट्रीय पुरस्कार जरूर मिलेगा। भारत रविवार को रूस के साथ संयुक्त रूप से विजेता बना।
आनंद ने कहा,‘मुझे उम्मीद है कि इससे कई सकारात्मक चीजें शुरू होंगी। इसमें खेल मंत्रालय द्वारा अर्जुन पुरस्कार के लिए पुनर्विचार और शतरंज लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार भी शामिल है। बहुत लंबा समय गुजर गया है।’
आनंद खुद भी अर्जुन के अलावा देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न से सम्मानित हो चुके हैं। शतरंज में आखिरी बार 2013 में अभिजीत गुप्ता को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था। शतरंज में सिर्फ दो कोच रघुनंदन वसंत गोखले (1986) और कोनेरू अशोक (2006) को अब तक द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला है।
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इंटरनेट ने दिया झटका पांच बार के विश्व चैंपियन आनंद को भारत के विजेता बनने की उम्मीदों को उस समय झटका लगा था, जब निहाल सरीन और दिव्या देशमुख ने सर्वर के साथ कनेक्शन नहीं बन पाने से अपना मैच गंवा दिया।
आनंद ने कहा,‘मैंने ऐसा सोचा नहीं था। मेरा मतलब है कि स्पष्ट रूप से हमारे पक्ष में सबसे मजबूत तर्क यह था कि सर्वर के साथ कनेक्शन की गलती हमारी तरफ से नहीं थी। इस मामले में यह तुरंत पता चल गया कि हमारी ओर से कोई गलती नहीं है। ऐसे में फिडे को हमारी मांग मांगनी पड़ी।
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मुझे लगा था कि दूसरे मुकाबले को फिर से खेला जाएगा। आप जानते हैं कि इससे रूस के खिलाड़ी खुश नहीं होते। मुझे लगता है फिडे ने दूसरा रास्ता अपनाया और दोनों टीमों को संयुक्त विजेता घोषित कर दिया।’
आनंद के अलावा भारतीय सीनियर पुरुष टीम में विदित गुजराती (कप्तान), पी. हरिकृष्णा और अरविंद चिदंबरम में शामिल थे। सीनियर महिला टीम में कोनेरू हंपी, द्रोणावल्ली हरिका, भक्ति कुलकर्णी और आर. वैशाली शामिल थीं।