लखनऊ। राजधानी की साइबर क्राइम सेल के सहयोग से हसनगंज थाने की पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी। लखनऊ पुलिस ने जालसाज साइबर गिरोह को गिरफ्तार करने का दावा किया है, फर्जी कॉल सेंटर चलाकर लोगों से ठगी करने का काम करते थे। वहीं गिरोह का मास्टरमाइंड दिल्ली में बैठकर फर्जी कॉल सेंटर का संचालन कर रहा था। मंगलवार को साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह की टीम को आए दिन हो रहे साइबर अपराधों की निगरानी के दौरान एक ऐसे गिरोह का पता चला जो लखनऊ में बैठकर लोगों को चूना लगा रहा है। पुलिस का कहना है कि लखनऊ में अभिषेक नामक शातिर जालसाज अपने साथियों के साथ मिलकर यह कॉल सेंटर चला रहा था। फर्जी कॉल सेंटर में बैठकर आरोपी लोगों को फोन कर उनसे ठगी करने का काम कर रहे थे। यह गिरोह अंतरराज्यीय स्तर पर काम कर रहा था। अपराधी ठगी गई रकम को आपस में बांट लेते थे। साइबर जालसाजों की गिरफ्तारी चिनहट इलाके के मटियारी से हुई है। जहां अक्टूबर माह से कॉल सेंटर चल रहा था।
कई राज्यों में चलाया जा रहा फेक कॉल सेंटर
मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में बैठकर आमिर नामक युवक अपने मित्र अभिषेक कुमार पाल, अशोक कुमार पाल और राजकुमार वर्मा के साथ मिलकर लॉकडाउन के बाद अक्टूबर माह में चिनहट के मटियारी के पास गो-इंडिया नाम से एक फर्जी कॉल सेंटर खोल कर फर्जीवाडा कर रहा था। जिसका रजिस्ट्रेशन भी नहीं हुआ था। यह गिरोह दिल्ली, लखनऊ समेत कई अन्य राज्यों में इस तरह फर्जी कॉल सेंटर चलाकर बुजुर्ग और रिटायर्ड लोगो के नंबरों पर फोन कर उनको क्रेडिट कार्ड के नाम पर लुभावने सपने दिखा कर उनको अपना निशाना बनाने का काम कर रहे थे।
एसबीआई बैंक के वर्चुअल नंबर का कर रहे थे इस्तेमाल
पुलिस की मानें तो पकड़े गए यह शातिर जालसाज फर्जी कॉल सेंटर को चलाने के लिए बेरोजगार लोगों का अभी हाल ही के दिनों में इंटरव्यू लेकर कुछ लड़कियों की ज्वाइनिंग की थी। जिन्हें आरोपी राजकुमार ने कुछ मोबाइल दिए थे। जिसमें एसबीआई बैंक का वर्चुअल नंबर था। उसके साथ ही कुछ लोगों के मोबाइल नंबर देकर उनको फोन कर क्रेडिट कार्ड की तरह-तरह की स्कीम बताकर उनको अपने झांसे में लेने का काम करते थे। कॉल के झांसे में आने के बाद उनकी कॉल को अभिषेक, राजकुमार व अशोक में जो फ्री होता था उसको फारवर्ड कर दी जाती थी।
हसनगंज थाने में दर्ज हुआ था मुकदमा
डीसीपी साइबर क्राइम सेल पीके तिवारी का कहना है कि अभी एक जनवरी को हसनगंज थाना में सिराज नामक युवक ने मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उनकी शिकायत थी कि एक एसबीआई बैंक नंबर से उनको फोन आया था और क्रेडिट कार्ड की बात कहकर उनको एक मैसेज भेजा। मैसेज भेजते ही एक ओटीपी आया। इस ओटीपी को उन्होंने मांगा, ओटीपी देने के बाद ही उनके बैंक खाते से 30 हजार रुपये निकल गये।
पकड़े गए अपराधियों की पहचान अभिषेक कुमार पाल मऊ निवासी, अशोक कुमार पाल आजमगढ़ निवासी और राजकुमार वर्मा नई दिल्ली निवासी के रूप में कराई है। पकड़े गए आरोपियों के पास से एक लैपटॉप, आठ सिम कार्ड, दो एटीएम कार्ड, चार मोबाइल, एक फर्जी मोहर और दो राउटर बरामद किये हैं।