
लखनऊ, 20 जून। भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर मैप पर अब उत्तर प्रदेश सबसे बोल्ड और स्ट्रॉन्ग सिग्नेचर बनकर उभरा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के लोकार्पण के साथ ही देश के कुल एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे नेटवर्क का 42% हिस्सा अब अकेले यूपी के नाम हो गया है। अभी तक यह हिस्सा 38% था। वहीं जैसे ही मेरठ से प्रयागराज तक बन रहे 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे का उद्घाटन होगा, यह आंकड़ा 62% को पार कर जाएगा। यानी देश में बनने वाले हर 10 किलोमीटर एक्सप्रेसवे में 6 किलोमीटर उत्तर प्रदेश में होंगे।

उत्तर प्रदेश में सिर्फ राजधानी या मेट्रो सिटी ही नहीं, बल्कि बुंदेलखंड, तराई और पूर्वांचल जैसे पिछड़े इलाकों को भी एक्सप्रेसवे से जोड़ा जा रहा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, जो प्रदेश का सातवां ऑपरेशनल एक्सप्रेसवे बना है, सिर्फ एक रोड नहीं, बल्कि पूर्वांचल के सामाजिक-आर्थिक विकास की रीढ़ बनकर सामने आ रहा है। इसका निर्माण 7200 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है, जिसमें 3400 करोड़ निर्माण और बाकी भूमि अधिग्रहण एवं अन्य कार्यों पर खर्च हुए। इसके लिए 1100 हेक्टेयर भूमि 22,000 किसानों से अधिग्रहित की गई।

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के अनुसार, देश में जहां 2900 किलोमीटर एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे हैं, उनमें से 1200 किमी से ज़्यादा सिर्फ यूपी में हैं। अब गोरखपुर लिंक जुड़ने से ये आंकड़ा 42% पहुंच चुका है और जल्द ही गंगा एक्सप्रेसवे के साथ यह 62% को पार करेगा।

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे सिर्फ इनोवा, एम्बुलेंस, कैम्पर और हाइड्रा जैसे सुरक्षा वाहनों से सुसज्ज नहीं, बल्कि यह पूर्वांचल के लिए संभावनाओं का सुपरहाइवे बन चुका है। यूपी अब देश का पहला राज्य बन गया है जहां सबसे ज़्यादा ऑपरेशनल एक्सप्रेसवे हैं, जिनमें पूर्वांचल (341 किमी), बुंदेलखंड (296 किमी), आगरा-लखनऊ (302 किमी), यमुना (165 किमी), दिल्ली-मेरठ (96 किमी), नोएडा-ग्रेटर नोएडा (25 किमी) और अब गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे (91 किमी) शामिल हैं। साथ ही 3 निर्माणाधीन और 8 प्रस्तावित एक्सप्रेसवे राज्य को भविष्य के भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर पावरहाउस बनाने की दिशा में ले जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी का यह ट्रांसपोर्ट नेटवर्क सिर्फ ट्रैफिक ही नहीं, बल्कि ट्रांज़िशन का भी प्रतीक है। ये एक्सप्रेसवे अब “एक्सप्रेस स्टेट ऑफ इंडिया” के नाम से उत्तर प्रदेश की नई पहचान बनते जा रहे हैं — जो स्पीड, स्केल और स्कोप, तीनों में देश को पीछे छोड़ते जा रहे हैं।