
लंबे इंतजार के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के वर्ष 2010 की अपर निजी सचिव भर्ती में कथित भ्रष्टाचार के मामले में CBI को तीन पूर्व अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति मिल गई है।
4 सितंबर 2018 को राज्य सरकार ने इस प्रकरण की जांच CBI से कराने की संस्तुति की थी, लेकिन साढ़े चार वर्ष से मामला अटका हुआ था। आयोग ने तत्कालीन अफसरों के खिलाफ जांच की अनुमति देने में हीलाहवाली की थी।
CBI के सख्त पत्र के बाद आयोग ने अनुमति दी है। CBI ने 30 सितंबर 2020 को नियुक्ति विभाग से तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक, सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव विनोद कुमार सिंह, सेवानिवृत्त सिस्टम एनालिस्ट गिरीश गोयल और सेवानिवृत्त समीक्षा अधिकारी लाल बहादुर पटेल के खिलाफ जांच की मांग की थी।
नियुक्ति विभाग ने परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ जांच की अनुमति दे दी थी, लेकिन आयोग ने तीनों अन्य अधिकारियों के खिलाफ मंजूरी नहीं दी थी। परिणामस्वरूप, 4 अगस्त 2021 को दर्ज FIR में केवल परीक्षा नियंत्रक का नाम शामिल हुआ था।
बाद में, 26 मई 2025 को CBI निदेशक ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर फिर से अनुरोध किया। अब आयोग ने अनुमति जारी कर दी है, जिससे सभी नामित पूर्व अफसर CBI जांच के दायरे में आ गए हैं।