यूपीएससी एक ऐसा क्षेत्र है जिसके लिए माना जाता है कि कितनी भी मेहनत करो पर कम पड़ जाती है. कैंडिडेट्स सबकुछ छोड़-छाड़कर केवल इस परीक्षा की तैयारी करते हैं तब भी कई बार उनका सेलेक्शन नहीं होता. ऐसे में अगर कैंडिडेट महिला है और विवाहित है तो यह टास्क और भी कठिन हो जाता है. दरअसल हमारे समाज में विवाहित महिलाओं के लिए सभी जिम्मेदारियों को निभाते हुए यूपीएससी जैसी परीक्षा की तैयारी करना आसान नहीं होता. पर आज हम जिनकी चर्चा आपसे कर रह हैं वे न सिर्फ विवाहित हैं बल्कि परीक्षा की तैयारी के दौरान नौकरी भी कर रही थी और प्रेगनेंट भी थी.
ऐसे में भी पद्मिनी ने न केवल दूसरे ही प्रयास में अपने लक्ष्य को पाया बल्कि 152वीं रैंक के साथ टॉपर भी बनीं. पद्मिनी उन महिलाओं को लिए बड़ा प्रेरणास्त्रोत हैं जिन्हें लगता है कि शादी के बाद करियर बनाना मुमकिन नहीं होता या बहुत मुश्किल होता है. सच तो यह है कि जीवन में कुछ भी आसान नहीं होता, उसे आसान बनाना पड़ता है, अपना नजरिया बदलकर और कड़ी मेहनत से.
दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में पद्मिनी ने शेयर की टाइम मैनेजमेंट की स्ट्रेटजी कि कैसे नौकरी के साथ उन्होंने पढ़ाई के लिए वक्त निकाला. जानते हैं विस्तार से.
पद्मिनी की सफलता के दो सूत्र –
पद्मिनी कहती हैं कि चूंकि वे नौकरी कर रही थी इसलिए उनके पास वक्त की काफी कमी थी और अपने पहले प्रयास में असफल होने पर वे सीख चुकी थी की सफलता के लिए बस इन दो सूत्रों को ध्यान रखें. एक लिमिटेड रिसोर्स और दूसरा मल्टीपल रिवीजन. पद्मिनी कहती हैं कि उनके पास समय नहीं था इसलिए उन्होंने हर विषय की केवल एक किताब तय की और शुरू से अंत तक उसी से तैयारी की. जब तैयारी एक स्तर पर पहुंच गई तो मॉक टेस्ट दिए, आंसर राइटिंग प्रैक्टिस की और अपनी कमियों को समय रहते दूर किया. प्री के लिए खासतौर पर पद्मिनी मॉक टेस्ट्स को बहुत जरूरी मानती हैं. दूसरी जरूरी बात है रिवीजन. जितना हो सके और जितनी बार हो सके रिवीजन करें, यही आपको इस परीक्षा में सफतलता दिलाएगा.
आप यहां पद्मिनी नारायण द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया इंटरव्यू भी देख सकते हैं –
जब समय मिला सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई की –
पद्मिनी कहती हैं कि ऑफिस जाने के रास्ते में और ऑफिस में मिलने वाले ब्रेक्स में, उन्हें जब भी समय मिलता था वे पढ़ाई करती थी. सुबह उठकर ऑफिस आने के पहले और ऑफिस से घर पहुंचने के बाद पद्मिनी ने कुछ घंटे और उन घंटों के लिए विषय तय किए हुए थे जिनमें वे पढ़ाई करती थी. कम्यूट करने के रास्ते में न्यूज पेपर यानी करेंट अफेयर्स पढ़ना उन्हें आसान लगता था. इसी प्रकार मैगजीन वगैरह जो भी आपको सुलभ लगे आप इस दौरान पढ़ सकते हैं.
जिम्मेदारियों को बांटिए –
पद्मिनी आगे कहती हैं कि जब इतनी बड़ी परीक्षा की तैयारी का बीड़ा आप उठाते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होता है. जैसे अपने लिए समय निकालना और किसी और की मदद लेने में संकोच न करना. वे कहती हैं कि चाहे घर हो या ऑफिस, अगर कोई काम ऐसा होता है जो उनके बिना हो सकता है या कोई और कर सकता है तो वह उससे इसका आग्रह कर लेती थी.
इसी प्रकार जब उनका ऑफ होता था तो वे सुबह 9 बजे तक लाइब्रेरी चली जाती थी ताकि वहां न कोई डिस्टर्ब करे न ही बात-बात पर उन्हें पुकारा जाए. हालांकि बाद में हेल्थ इश्यू होने पर उन्हें लाइब्रेरी जाना बंद करना पड़ा क्योंकि लगातर झुककर पढ़ने से उन्हें परेशानी हो रही थी.
पद्मिनी की सलाह –
यूं तो अपनी तैयारी के दौरान पद्मिनी प्रेगनेंट थी इसलिए सेहत भी उनके लिए प्रायॉरिटी थी पर वे कहती हैं कि आपके साथ ऐसी कोई कंडीशन न हो तब भी अपनी सेहत का ध्यान रखें. वे दिन में 25 से 30 मिनट वॉक करती ही थी और खाने-पीने का भी विशेष ख्याल रखती थी. उनका मानना है कि फिजिकली फिट होने के साथ मेंटली फिट होना भी इस परीक्षा को पास करने के लिए बहुत जरूरी है इसलिए इन दोनों पर बराबर ध्यान दें.
अंत में पद्मिनी यही कहती हैं कि इन सालों में वे एंटी-सोशल हो गई थी क्योंकि उनके लिए उनका लक्ष्य ज्यादा बड़ा था. शादी, त्यौहार वे कुछ नहीं जानती क्योंकि ये समय उनके लिए मस्ती करने के बजाय अतिरिक्त समय की सौगात लेकर आता था जब वे और ज्यादा पढ़ाई करती थी. इसलिए अगर आप त्याग करने को और मेहनत करने को तैयार हैं तो कोई आपको सफल होने से नहीं रोक सकता. फिर चाहे आप महिला हों या नौकरीपेशा.