
उतरौला (बलरामपुर)। तहसील भवन परिसर में लगभग डेढ़ दशक पहले करोड़ों रुपये की लागत से बनी पानी की टंकी अब एक ‘सफेद हाथी’ बनकर खड़ी है। जल आपूर्ति की महत्वाकांक्षी योजना के तहत बनाई गई इस टंकी का उद्देश्य आसपास के सरकारी भवनों और आवासीय कॉलोनियों में पेयजल उपलब्ध कराना था, लेकिन निर्माण के 15 साल बाद भी इससे एक बूंद पानी भी किसी तक नहीं पहुँचा।
बरसात के मौसम में टंकी के आसपास लापरवाही से फैला झाड़-झंखाड़ अब छोटे जंगल में बदल चुका है। यही वजह है कि यह इलाका सांप, बिच्छू और अन्य जहरीले जीवों का सुरक्षित अड्डा बन गया है। स्थानीय कर्मचारियों का कहना है कि बच्चों के खेलने और बुजुर्गों के गुजरने के लिए यह स्थान खतरनाक हो गया है।
निर्माण के बाद से अब तक न तो टंकी से पाइपलाइन जोड़ी गई और न ही पानी उठाने के लिए कोई पंपिंग व्यवस्था की गई। नतीजा यह है कि तहसील परिसर और आसपास की कॉलोनी के लोगों को पीने और नहाने-धोने के लिए हैंडपंप पर निर्भर रहना पड़ता है। दो-तीन मंज़िल ऊपर रहने वाले तहसील कर्मचारियों को रोज़ाना बाल्टियों में पानी भरकर ऊपर ले जाना पड़ता है, जिससे खासतौर पर महिलाओं और बुजुर्गों को भारी दिक्कत झेलनी पड़ रही है।
कॉलोनी निवासियों ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों से मुलाकात कर टंकी को चालू करने की मांग की, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला। स्थानीय कर्मचारियों का कहना है कि यह परियोजना शुरू से ही लापरवाही का शिकार रही और प्रशासनिक उदासीनता के कारण सरकारी धन की खुली बर्बादी हो रही है। करीब 15 साल से निष्क्रिय पड़ी यह टंकी न केवल लोगों की जरूरत पूरी करने में विफल रही है, बल्कि यह सरकारी परियोजनाओं के कुप्रबंधन का उदाहरण भी बन चुकी है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर पाइपलाइन और पंपिंग सिस्टम लगाकर इसे चालू किया जाए, तो दर्जनों परिवारों को राहत मिल सकती है। तहसील कर्मचारियों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द पाइपलाइन बिछाकर टंकी से जल आपूर्ति शुरू करे। अगर समय रहते कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले वर्षों में यह टंकी पूरी तरह जर्जर होकर बेकार हो जाएगी।
तहसील में कर्मचारियों के लिए बनाया गया आवास भी काफी जर्जर अवस्था में पहुँच गया है, पलास्टर छूट-छूटकर गिर रहे हैं और बरसात में छत टपकती है, जिससे आवास में रह रहे कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेखपाल अखिलेश वर्मा का कहना है कि पुनः पलास्टर करवाने की आवश्यकता है।
तहसील परिसर में बना आवास कालोनी के बगल कूड़े का अंबार लगा हुआ है, जिससे उठने वाली दुर्गन्ध से यहाँ के बाशिंदों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। वही कचरे के ढेर के चलते मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। भवन के आसपास झाड़-झंखाड़ के उगने से विषैले जानवरों का भी खतरा बढ़ गया है।