
लखनऊ। प्राकृतिक वादियां जीवन की भागदौड़ से लोगों को सुकून देती हैं। यही वजह है कि लोग गर्मी या मानसून के मौसम में शिमला, मनाली, मसूरी, ऊटी जैसे पहाड़ी स्थलों का रुख करते हैं। लेकिन कम ही लोगों को यह पता है कि उत्तर प्रदेश भी प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है, खासकर यहां के 19 जलप्रपात (झरने) मानसून में किसी जन्नत से कम नहीं लगते। यूपी को अक्सर ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके जंगलों, पहाड़ों और झरनों में प्रकृति की गोद में सुकून और रोमांच दोनों मिलता है।
वाराणसी के पास चंदौली जिले में स्थित चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य में राजदरी और देवदरी झरने स्थित हैं। यहां एशियाई शेरों के लिए आरंभ में यह वन संरक्षित क्षेत्र था, लेकिन अब यह पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों का घर है। चट्टानों से कलकल बहता हुआ साफ पानी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। हालांकि यहां ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन खाने-पीने के लिए भोजनालय अब उपलब्ध हैं, जिससे यह स्थल एक दिन की यात्रा के लिए आदर्श बन गया है।
चित्रकूट के पास स्थित चित्रकूट जलप्रपात अपनी कल-कल करती धाराओं और हरियाली से भरा मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करता है। पास में स्थित शबरी जलप्रपात और सीता कुंड धार्मिक आस्था से जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि शबरी ने भगवान राम को बेर खिलाए और इसके बाद प्रभु ने वहीं स्नान किया था। मानसून के दौरान जलप्रवाह अपने पूरे शबाब पर होता है और जुलाई से सितंबर इन स्थानों की सैर के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित जानकी कुंड को लेकर मान्यता है कि वनवास काल में माता सीता ने यहीं स्नान किया था।
सोनभद्र जिले में मुक्खा, धंधरौल और कोरई जैसे झरनों की भरमार है। मुक्खा जलप्रपात बेलन नदी पर स्थित है, जहां से पानी लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरता है। झरने के आसपास पाषाण युग के शैलचित्र भी पाए जाते हैं, जो इसे ऐतिहासिक और प्राकृतिक दृष्टि से अनूठा बनाते हैं। धंधरौल जलप्रपात अपने शांत वातावरण और विजयगढ़ किले के पास स्थित होने के कारण पर्यटकों को विशेष रूप से लुभाता है। कोरई झरना बारिश के मौसम में फिसलती सीढ़ियों और धुंध के कारण बेहद आकर्षक लगता है।
मिर्जापुर जिले में लखनिया दरी, विंडम, नौका दरी, टांडा, सिद्धनाथ दरी, भाना जलप्रपात और सिरसी जैसे अनेक झरने हैं। इनमें लखनिया दरी लगभग 150 मीटर ऊंचा झरना है, जो ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए एक रोमांचकारी अनुभव देता है। विंडम झरना पिकनिक के लिए उपयुक्त है, जबकि नौका दरी अपने रॉक फॉर्मेशन और गूंजते पानी के लिए प्रसिद्ध है। टांडा जलप्रपात के सामने बना लगभग 85 साल पुराना बांध इसे ऐतिहासिक स्वरूप भी देता है। सिद्धनाथ दरी अपने शांत, निर्जन और सुरम्य वातावरण के कारण ध्यान और सुकून चाहने वालों को पसंद आता है। सिरसी जलप्रपात मिर्जापुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर एक शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है, जहां जलधारा ऊंचाई से गिरते हुए एक मधुर संगीत रचती है।
प्रयागराज जिले में पटपरे जलप्रपात, शंकरगढ़ और कुशियारा जलप्रपात जैसे स्थल हैं जो अभी तक आम पर्यटन मानचित्र से बाहर हैं। लेकिन इनकी सुंदरता और प्राकृतिक वैभव बारिश के मौसम में पूरी तरह उभर कर सामने आता है। कुशियारा जलप्रपात मिर्जापुर के पास स्थित है और शांत, सुरम्य वातावरण में मन को शांति देने वाला दृश्य प्रस्तुत करता है। शंकरगढ़ श्रेणी के झरने भी इसी श्रेणी में आते हैं, जो घनी हरियाली और कम भीड़ के कारण प्रकृति प्रेमियों को खासा आकर्षित करते हैं।
चंदौली जिले में कजरदह कुंड और औरवाटांड जलप्रपात भी प्राकृतिक खजाने के रूप में मौजूद हैं। कजरदह कुंड चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य के भीतर है, जहां तक पहुंचने के लिए एक छोटी ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यहां वन्यजीवों के साथ-साथ दुर्लभ पक्षियों के भी दर्शन होते हैं। औरवाटांड झरना लगभग 200 फीट ऊंचाई से गिरता है और इसके पीछे की गुफाओं में प्राचीन शैल चित्र देखे जा सकते हैं, जिससे यह ऐतिहासिक महत्व भी प्राप्त करता है।
मिर्जापुर के मड़िहान के जंगलों में स्थित जोगिया दरी झरना, अलोपी दरी और भाना जलप्रपात भी मानसून में अपने चरम सौंदर्य पर होते हैं। अलोपी दरी वर्षा ऋतु में ही नजर आता है और वर्षा के बाद उसका जलस्तर लगभग समाप्त हो जाता है। भाना जलप्रपात चुनार तहसील के बलुवा बाजाहुर में स्थित है और इसका संपर्क मार्ग सक्तेसगढ़ रेलवे स्टेशन से होकर जाता है।
इन सभी झरनों की यात्रा मानसून में अविस्मरणीय अनुभव देती है, लेकिन अधिकतर स्थानों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी है, इसीलिए यहां जाते समय अपना भोजन, पानी और प्राथमिक चिकित्सा साथ लेकर चलें। साथ ही समूह में यात्रा करें, क्योंकि कुछ झरनों तक पहुंचने के लिए ट्रेकिंग करनी पड़ती है और नेटवर्क की सुविधा सीमित होती है।
उत्तर प्रदेश में मौजूद ये 19 झरने न सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता के अद्भुत नमूने हैं, बल्कि पर्यटन के नए द्वार खोल सकते हैं। यदि राज्य सरकार इन स्थलों पर बुनियादी सुविधाएं विकसित कर दे, तो उत्तर प्रदेश का यह ‘प्राकृतिक चेहरा’ आने वाले समय में देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने का नया केंद्र बन सकता है।