पुरूष एक ऐसा चटोरा प्राणी है – जो गुलाब से ज्यादा गुलकन्द, आम से ज्यादा अचार, मूल से ज्यादा ब्याज और बीबी से ज्यादा पड़ोसन में रुचि रखता है।
यही कारण है कि हम अपने जीवन मूल्यों से इतने गिर चुके हैं कि भ्रष्टाचार का भूत और चारित्र हीनता की चूडैल से भी हमें डर नही लगता। हम धर्म और सत्य के मार्ग से फिसल गये हैं।
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जो धर्म और सत्य के मार्ग से फिसलता है, तो वह दुखी नही होगा तो क्या मौज मनायेगा..?
हमारा गलत आचरण, गलत व्यवहार, गलत खान पान, गलत जीवन शैली ही हमारे दु:खो का कारण है।
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बढ़ती हुई इच्छायें आदमी को ना दिन में, ना रात में, सुख से बैठने नहीं देती और न रात में चैन से सोने देती है।
आज का सच तो यह है कि आदमी दिन में परेशान और रात को हैरान, बैचैन रहता है..!