तमगों में गुम हुआ ग्रामसभा वजीरगंज का विकासलाखों की योजनाएँ बदहाल

रिपोर्ट : मनोज मौर्या

देवीपाटन मंडल, गोण्डा। प्रदेश सरकार गाँवों के विकास के लिए करोड़ों रुपये जारी कर रही है, लेकिन ग्राम पंचायतों में फैले भ्रष्टाचार के कारण यह धन ज़मीन पर विकास में तब्दील नहीं हो पा रहा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आदर्श ग्रामसभा वजीरगंज है, जहाँ करोड़ों की योजनाएँ कागज़ों में चमक रही हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत बदहाली और भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रही है। लाखों रुपये सेल्फी प्वाइंट, नाली सड़क निर्माण, स्ट्रीट लाइट, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र, सीसीटीवी और जनसेवा केंद्र पर खर्च किए जाने के बावजूद अधिकांश कार्य अधूरे, निष्क्रिय या जर्जर स्थिति में नजर आ रहे हैं। सवाल यह भी है कि तमाम खामियों के बाद भी ग्रामप्रधान को लगातार पुरस्कार (तमगे) कैसे मिलते रहे?

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र—उद्घाटन के बाद से बंद, कूड़े के अंबार

वजीरगंज के बल्लापुरवा में लगभग 15 लाख की लागत से प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र बनाया गया। इसका उद्घाटन तत्कालीन डीएम नेहा शर्मा और सीडीओ अंकिता जैन ने ‘रोजगार सृजन व स्वच्छता’ का मॉडल बताते हुए किया था। अधिकारियों ने निगरानी का आश्वासन भी दिया था, परंतु उद्घाटन के बाद केंद्र एक दिन भी सही से संचालित नहीं हुआ। वर्तमान में भवन के अंदर कूड़े के गट्ठर सड़ रहे हैं, जिससे क्षेत्र की आबोहवा तक दूषित हो रही है। जमीनी स्तर पर यहाँ कोई व्यवस्था नहीं है और जिम्मेदार अधिकारी केंद्र की स्थिति देखने तक नहीं पहुँचे।

चार लाख का सेल्फी प्वाइंट—झाड़ियों में तब्दील, फव्वारे टूटे

पंचायत भवन के सामने लगभग चार लाख रुपये से बना सेल्फी प्वाइंट उद्घाटन के कुछ ही समय बाद खंडहर में बदल गया। फव्वारे टूट चुके हैं, टाइलें उखड़ चुकी हैं, अंदर-बाहर झाड़ियाँ उग आई हैं। कूड़े के ढेर इसके आसपास जमा रहते हैं। यह पूरा स्थान बदहाली की कहानी खुद बयां कर रहा है।

गिरधारी पुरवा की नाली और आरसीसी सड़क—मानकविहीन निर्माण

गिरधारी पुरवा में दो वर्ष पूर्व बनाई गयी नाली मानकविहीन ढंग से बनी। नाली निर्माण के दौरान तोड़ी गई सड़क अब तक मरम्मत नहीं की गई, जिससे आए-दिन दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
इसी तरह लगभग 100 मीटर आरसीसी सड़क में भी भारी अनियमितताएँ मिलीं—कच्ची ज़मीन और पुरानी पीली ईंटों की बजरी पर ही सड़क डाल दी गई। शिकायत पर तत्कालीन ईमानदार एडीओ पंचायत ने निर्माण रुकवाया था, पर बाद में अधिकारी बदलते ही कार्य दोबारा पूरा कराया गया और सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप और पुख्ता हो गए।

सीसीटीवी कैमरे—लगाए तो गए, पर एक साल में ही निष्क्रिय

वजीरगंज में सुरक्षा के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। कैमरे पोलों पर निष्क्रिय पड़े हैं, कई जगह इनके तार टूटे पड़े हैं। ग्रामीणों के अनुसार कैमरे कुछ ही दिनों तक चले, उसके बाद बंद हो गए। अब ये केवल खर्च किए गए पैसे की याद दिलाते हैं।

स्वच्छता मिशन की पोल खोलते कूड़े के ढेर

आदर्श ग्रामसभा कहलाने वाले वजीरगंज में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। कूड़ा उठाने वाली गाड़ी या तो पंचायत भवन में खड़ी रहती है या प्रधान के निजी इस्तेमाल में लाए जाने की चर्चा है। कस्बे के मुख्य मार्ग पर गंदगी फैली रहती है। स्वच्छ भारत मिशन की जमीनी स्थितियाँ यहाँ दम तोड़ चुकी हैं।

स्ट्रीट लाइटें—लाखों की लागत की लाइटें कुछ महीनों में खराब

ग्रामसभा में लगाई गई सोलर स्ट्रीट लाइटें भी मानकहीन गुणवत्ता की थीं। ग्रामीणों के अनुसार घटिया क्वालिटी होने के कारण लाइटें जल्दी खराब हो गईं। कई जगह लाइट के पोल खड़े हैं पर लाइटें महीनों से बुझी पड़ी रहती हैं।

लाखों की लागत से बना बस स्टैंड—पर अब वाहन पार्किंग

सीएचसी के पास लाखों रुपये से बना रोडवेज बस स्टैंड निर्माण के बाद से आज तक निष्प्रयोज्य है। कोई भी बस यहाँ नहीं रुकती। यह स्थल अब वाहन पार्किंग और मानसिक रूप से विक्षिप्तों का स्थायी ठिकाना बन गया है। मरीज लाने वाली एंबुलेंस को भी यहाँ असुविधा होती है।

बंद पड़ा जनसेवा केंद्र—लोगों को लोकवाणी केंद्र के चक्कर

पंचायत भवन में स्थापित जनसेवा केंद्र हमेशा बंद रहता है। लोगों को जाति, निवास, पेंशन व अन्य प्रमाणपत्रों के लिए दूसरे स्थानों का रुख करना पड़ता है। सरकारी सुविधा लोगों तक पहुँच ही नहीं पा रही।

ऐतिहासिक बारादरी के सौंदर्यीकरण में भी भ्रष्टाचार

ऐतिहासिक बारादरी के आसपास सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों रुपये खर्च हुए, पर काम नाम मात्र का हुआ। लगाए गए पौधे पशुओं द्वारा खाए जा चुके हैं और कोई भी वास्तविक विकास कार्य दिखाई नहीं देता।

रसूखदार प्रधान—जिम्मेदारों को खुश रखने में माहिर

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान अधिकारियों को खुश रखने में माहिर है। इसी कारण निरीक्षण के दौरान किसी भी अधिकारी ने स्थिति देखने की कोशिश नहीं की। विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगातार बढ़ रहे हैं, पर कार्रवाई नदारद है।

नतीजा यह कि वजीरगंज का विकास तमगों और कागज़ों तक सिमटकर रह गया है, जबकि जमीनी स्तर पर ग्रामसभा बदहाली, भ्रष्टाचार और अव्यवस्थाओं की अनंत कहानी बयान कर रही है।