
फतेहपुर, बाराबंकी।वीर बाल दिवस के पावन अवसर पर क्षेत्र के ग्राम छेदा स्थित परमेश्वर इंटर कॉलेज में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भाजपा विधायक साकेंद्र प्रताप वर्मा, उपजिलाधिकारी कार्तिकेय सिंह एवं तहसीलदार वैशाली अहलावत की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस दौरान क्षेत्र के सैकड़ों से अधिक बुजुर्ग महिला-पुरुषों को कंबल वितरित किए गए। विधायक के हाथों कंबल पाकर जरूरतमंद बुजुर्गों के चेहरों पर खुशी और आंखों में भावुकता साफ दिखाई दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ विधायक साकेंद्र प्रताप वर्मा एवं एसडीएम कार्तिकेय सिंह द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। इसके उपरांत उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए विधायक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। यह दिवस उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है, जो बच्चों और युवाओं को साहस, त्याग और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देता है। विधायक ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी स्वयं शहीद पिता के पुत्र और शहीद पुत्रों के पिता थे, ऐसा अद्भुत उदाहरण भारतीय इतिहास में ही देखने को मिलता है।
विधायक ने खालसा पंथ की स्थापना का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी की घोषणा के बाद ही अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष को नई दिशा मिली। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि साहिबजादों के आदर्शों को अपनाकर राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव के साथ जीवन व्यतीत करें।
इस अवसर पर एसडीएम कार्तिकेय सिंह, तहसीलदार वैशाली अहलावत, शील रत्न मिहिर, करुणा शंकर शुक्ला, रामचंद्र वर्मा, अंशुमान मिश्रा, रिंकू वर्मा, शिवम वर्मा सहित बड़ी संख्या में सिख समाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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कार्यक्रम के उपरांत ग्राम टीकापुर स्थित कंपोजिट विद्यालय में बढ़ती ठंड को देखते हुए विधायक साकेंद्र प्रताप वर्मा ने आपदा राहत कोष से क्षेत्र के करीब 500 महिला-पुरुषों को कंबल वितरित किए। इस दौरान एसडीएम कार्तिकेय सिंह ने बताया कि गांवों में गरीब व असहाय पात्रों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी लेखपालों को दी गई है। जैसे-जैसे सूची तैयार होती जाएगी, क्रमवार गांव-गांव जाकर बुजुर्गों को कंबल वितरित किए जाएंगे। जो बुजुर्ग तहसील नहीं पहुंच पा रहे हैं, उन्हें उनके गांव में ही कंबल उपलब्ध कराए जाएंगे। ठंड से बचाव के लिए यह अभियान आगे भी लगातार जारी रहेगा।