नई दिल्ली। समाना बाहु ,जिला करनाल में विमुक्त जनजातियों द्वारा स्वतंत्रता दिवस (मुक्ति दिवस) आयोजित किया गया। मीडिया से वार्ता करते हुए अखिल भारतीय विमुक्त एवं घुमन्तू जनजाति वेलफेयर संघ के राष्ट्रीय महासचिव श्री बालक राम ने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाली आदिवासी घुमन्तू जनजातियों कबीलों मुगलो एवं अंग्रेजो से गौरिल्ला युद्ध लडा तथा 1857 की क्रांति मे अहम भूमिका के बारे में बताया , जिसकी वजह से ब्रिटिश ऑफ़ इंडिया सरकार ने इन 127 कबीलों पर अपनी दमनकारी नीति अपनाते हुए 1871 में क्रिमिनल ट्राइब्स ऐक्ट लगाकर परिवार सहित स्पेशल जेलों में डालकर तरह-तरह की यातनाएं तथा कितनो को फाँसी को तथा कितने को काला पानी को सजा दी थी।
31 अगस्त को मनाते हैं स्वतंत्रता दिवस
उन्होंने बताया कि हमारा देश 15 अगस्त 1947 आजाद हो गया लेकिन इन आदिवासी कबीलों के आजाद नहीं किया गया। 1949-50 में भारत सरकार ने द क्रिमिनल ट्राईब्स ऐक्ट साईमन अंगर जांच आयोग का गठन किया जिसको रिपोर्ट के पश्चात 31अगस्त 1952 को स्वतंत्र कर विमुक्त जनजाति (De-Notified Tribes) का दर्जा दिया गया।तभी से लगातार देश मे विमुक्त एवं घुमन्तू जनजातियों के 31अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस पुरे भारत मे मनाते हैं।
आज भी विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों की आजादी अधुरी
प्रदेश अध्यक्ष मास्टर जिले सिंह ने बताया कि 82 बर्ष की जेलों की सजा काटने के विमूक्त जनजातियों के कबीले शैक्षणिक, सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक स्तर पर शुन्य हो चुकी थी। जिसका फायदा उठाते हुए भारत सरकार ने आदिवासी होते हुए भी अनुसूचित जनजाति की लिस्ट नहीं डाला। तथा सरकार ने मनमाने ढंग किसी को अनुसूचित जनजाति / ओबीसी एवं किन्ही जातियों को जनरल में डाल दिया। जिसकी वजह से विमुक्त एवं घुमन्तू जनजातियों को आज तक आरक्षण का लाभ न के बराबर ही हुआ है। आज भी विमुक्त एवं घुमंतू जनजातियों की आजादी अधुरी है। 1952 से लेकर आज तक विमुक्त घुमंतू जनजातियों के कबीले आज तक अपने मौलिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि, “मेैं अखिल भारतीय विमुक्त एवं घुमंतु जनजाति वेलफेयर संघ के माध्यम से घोषणा करता हूँ कि आज के बाद मुक्ति दिवस को डी एन टी संघर्ष दिवस के रुप मे समस्त भारत मे मनाया जाएगा क्योंकि 31अगस्त का दिन हमारे पूर्वजों के देश के प्रति बलिदान एवं संघर्ष की कहानी बताता है। हम अधुरी आजादी को मुक्ति दिवस नही मान सकते हैं।”
यह लोग हुए शामिल
बुधवार का यह कार्यक्रम श्री लक्षमण दास जी की अध्यक्षता में हुआ तथा मुख्य अतिथि के रुप मे विमुक्त एवं घुमंतू विकास बोर्ड के चेयरमैन डॉ बलबान सिंह , वरिष्ठ अतिथि श्री दल सिंह माहला , श्री रोशन माहला , श्री सतीश बरसी , श्री राजकुमार माहला मौजूद रहे। एंव अथिति श्री कारखल तथा समाज के सम्मानित सद्स्य समाजसेवी एम एक्स काजल मंगल मुखी, श्री मनवीर सिंह विसाईया, सरदार महेन्द्र सिंह कलजी, रमेश जी, श्रवण सिंह अहेरिया, डॉ गोपी आर्य, श्री जगमाल सिंह, कर्म सिंह समाना, सत्यवान , कलम सिंह जी , पाला राम , हर्केश यमुनानगर एवं सरपंच दीपक बंसल समानाबाहु समेत समाज के हजारों लोगों ने कार्यक्रम मे भाग लिया तथा मुख्यमन्त्री , सांसद एवं विमुक्त एवं घुमंतू बोर्ड के चेयरमैन डॉ बलवान सिंह जी समाज के उत्थान के ज्ञापन दिया।
विमुक्त घुमंतू जनजातियों ने की न्याय की मांग
अखिल भारतीय विमुक्त एवं घुमंतू जनजाति वेलफेयर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रविन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि शासन व प्रशासन आज भी विमुक्त एवं घुमन्तू जनजतियों के साथ क्रिमिनल की तरह ही व्यव्हार करते हैं। तथा मीडिया भी इन कबीलों की जातियों के नाम के साथ गिरोह लगाकर आए दिन अखबारों मे प्रकाशित करता है। जिससे समस्त विमुक्त घुमंतू जनजातियों को बिना अपराध किए देश की जनता के सामने अपराधी घोषित कर दिया जाता है। वर्तमान मे समस्त भारत मे विमुक्त एवं घुमन्तू जनजातियो (कबीलों) के लोग जागरूक हो चुके हैं। अगर सरकारों ने इन कबीलों के साथ न्याय नहीं किया तो यह कबीले एकजुट होकर विधान सभाओं एवं संसद मे अपने प्रतिनितधि चुनकर भेजेंगे व इन कबीलों के लिए न्याय व सम्मान अर्जित करेंगे।