जैन महिला क्लब ने दीपावली पर्व से पहले बच्चों को मिठाई कपड़े एवं मास्क का किया वितरण
सागवाडा नगर मे क्रिएटिव वुमन्स क्लब द्धारा मंगलवार को साधना शिरोमणि चर्या चक्रवर्ती चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनीलसागर जी महाराज की परम शिष्या भजन भक्ति धुरंधर आर्यिका श्री सुस्वरमती माताजी का 29वा अवतरण दिवस क्रिएटिव वुमन्स क्लब की सदस्यों ने दीपावली पर्व के पहले बच्चों को क्लब की तरफ से नए कपड़े मिठाई व मास्क वितरित कर मनाया और आर्यिका माताजी की तप साधना एवं भक्ति की अनुमोदना कर उनकी वंदना करते हुए यूगश्रेष्ठ साध्वी होने की मंगलकामनाएँ की।
यह जानकारी देते हुए भारतवर्षीय अठ्ठारह हजार दशा हुमड दिगम्बर जैन महिला महासभा की अध्यक्ष साधना कोठारी ने बताया कि दीपावली पर्व के आगमन से पूर्व नगर की कच्ची बस्तियों पर निवास कर रहे बच्चों को नये कपड़े व मिठाई देकर उन्हें कोरोना संक्रमण के बारे में भी बताया, नए कपड़े व मिठाई पाकर इन बच्चों के चेहरों पर रौनक छा गई वही उन्होंने इस पुनीत कार्य हेतु क्लब का धन्यवाद ज्ञापित किया।इस अवसर पर अध्यक्ष साधना कोठारी सहित अनिता जैन,रेखा पंचोरी,पायल मेहता ,स्वाति कोडिया, प्रियंका सारगिया पिंकी शाह आदि उपस्थित रहे ।
इस मौक़े पर साधना कोठारी ने आर्यिका श्री सुस्वरमती माताजी के संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए बताया है कि गर्वी गुजरात के बड़ौदा शहर में प्रकाश जी शाह व उर्मिला बेन के घर मे सन 1991 को 10 नवम्बर के दिन एक भव्य सुकन्या का जन्म हुआ।
जिनका नाम भूमि शाह रखा गया जिसने अपने माता पिता से मिले धर्म संस्कारो के साथ बीकॉम तक की लौकिक शिक्षा ग्रहण की लेकिन सत संगति से अनेक भवो के भृमण के पश्चात मिलने वाले इस मनुष्य कुल को आत्महित हेतु अग्रसर करने का दृढ़ निश्चय का बोध अल्पायु में ही हो गया।
8 फरवरी 2015 को तपस्वी सम्राट के अनूठे भक्तो की नगरी ग्राम रिछा में भव उद्धारक गुरु आचार्य श्रीसुनीलसागर जी यतिराज से बाल ब्रह्मचारिणी भूमि दीदी ने 2 प्रतिमा व्रत लेकर संयम साधना का अभ्यास करने लगे।
ठीक 2 वर्ष पश्चात 9 अप्रैल 2017 भगवान महावीर स्वामी की जन्म जयंती के दिन तारणहार गुरु आचार्य श्री सुनीलसागर जी महामनीषीके अतिशय हस्तकमलो से प्रतापगढकी धरा पर आर्यिका दीक्षाप्रदान की गयी।
गुरु ने स्वर से जिनशासन की अभूतपूर्व प्रभावना करनें वाली नवदीक्षित आर्यिका का नाम दिया आर्यिका श्री सुस्वरमती माताजी जो निरन्तर गुरु आज्ञा को सर्वोपरि रखते हुए अपनी ओजस्वी प्रवचन शैली, मनमोहक भजनों व आत्मचित्त साधना से अनवरत गुरु संघ का गौरव बढ़ा रहै है