CSE का खुलासा
शहद में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं और ये इम्यूनिटी को मजबूत करता है. यही वजह है कि तमाम तरह के वायरस और फ्लू से बचाव के लिए लोग घरेलू उपचार के लिए शहद का इस्तेमाल करते हैं. शहद के फायदों को देखते हुए लोगों में इसकी मांग बढ़ी है लेकिन जिस शहद को वो सेहतमंद समझकर रोज खा रहे हैं, उसमें मिलावट की जा रही है. ये चौंकाने वाला खुलासा सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) ने किया है.
शहद में मिलावट
CSE ने अपनी जांच में पाया है कि देश के कई बड़े-छोटे ब्रांड के शहद में अच्छी खासी मात्रा में मिलावट की जा रही है. ये कंपनियां अपने शहद में चाइनीज शुगर सिरप मिलाकर बेच रही हैं. CSE की जांच में डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ और झंडू जैसे कई बड़े ब्रांड फेल हो गए हैं जबकि सिर्फ 3 ब्रांड सफोला, मार्कफेड सोहना (Markfed Sohna) और Nature’s Nectar के शहद जांच में सही पाए गए हैं. वहीं, डाबर और पतंजलि ने CSE की इस जांच पर सवाल उठाए हैं. इनका कहना है कि इस तरह के जांच का मकसद उनके ब्रांड्स की छवि खराब करना है और ये एक सोची समझी साजिश है. इन कंपनियों ने दावा किया कि वो भारत में ही प्राकृतिक तौर पर शहद को इकट्ठा करके बेचते हैं जिसमें किसी तरह की मिलावट नहीं की जाती है.
गुजरात में हुई जांच
गौर करने वाली बात ये है कि CSE ने अपनी जांच गुजरात के NDDB प्रयोगशाला से शुरू की. इसमें कुछ छोटे ब्रांड को छोड़कर सभी बड़े ब्रांड के सैंपल टेस्ट में पास हो गए. बस कुछ ही ब्रैंड के शहद में C4 शुगर (गन्ने, मक्के से बनी शुगर) पाई गई थी. वहीं जब जर्मनी में एक विशेष प्रयोगशाला में न्यूक्लियर रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) टेस्ट से शहद का परीक्षण किया गया तो केवल तीन कपंनियां ही ऐसी मिलीं जिनमें शुगर सिरप की मिलावट नहीं की गई थी.
2019 में भी किया था आगाह
2019 में CSE ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि FSSAI ने कई राज्यों के फूड कमिश्नर को बताया था कि शहद में शुगर सिरप मिलाकर बेचा जा रहा है. FSSAI ने मई के महीने में ‘गोल्डन सिरप’, ‘राइस सिरप’ और ‘इनवर्टेड सीरप’ के आयातकों से इसे रजिस्टर कराने और इसके उपयोग के बारे में सूचना देने को कहा था. CSE ने अपनी जांच में पाया कि गोल्डन सिरप और राइस सिरप केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की आयातित वस्तुओं की सूची में शामिल ही नहीं है.
शुगर सिरप क्या है
शुगर सिरप क्या है- शुगर सिरप चीनी और पानी को घोलकर बनाया जाता है जिसका उपयोग आमतौर पर कॉकटेल या किसी ड्रिंक में स्वीटनर के तौर पर किया जाता है. इसे गर्म पानी में चीनी डालकर बनाया जाता है और ठंडा होने के बाद इस्तेमाल किया जाता है. सामान्य शुगर सिरप के लिए चीनी और पानी का अनुपात 1:1 रखा जाता है लेकिन और इसे गाढ़ा करने के लिए पानी में चीनी की मात्रा और बढ़ा दी जाती है.
फ्रुक्टोज सिरप के नाम पर धंधा
CSE का कहना है कि चीन की कुछ वेबसाइट इन सिरप को फ्रक्टोज सिरप के नाम से इस दावे के साथ बेच रही हैं कि ये शहद में आसानी से मिल जाएंगी और मिलावट की जांच की जाने वाले C3 और C4 जैसे आम परीक्षणों को आसानी से पार कर लेंगी. सरकारी आंकड़ों की जांच करने पर, CSE ने पाया कि ये शुगर सिरप चीनी कंपनियों से थोक में आयात किए जा रहे हैं.
बदलते रहते हैं मानक
शहद के गुणवत्ता की जांच के मानक बदलते रहते हैं लेकिन मिलावट का गोरखधंधा करने वाले इसकी कोई ना कोई काट ढूंढ लेते हैं. भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) पिछले कुछ सालों में शहद के गुणवत्ता मानकों को दो बार संशोधित कर चुका है.
शहद के परीक्षण
शहद के परीक्षण की पहली शुरुआत C4 शुगर सिरप का पता लगाने से हुई थी. यह सिरप मक्का, गन्ना जैसे पौधों से निकाला जाता है. इसके अलावा मिलावट करने वाले C3 फोटोसिंथेटिक पाथवे का इस्तेमाल करते हैं जिसमें धान और चुकंदर के पौधों का इस्तेमाल किया जाता है. इन मिलावट को पकड़ने के लिए आइसोटोप परीक्षण की शुरूआत की गई. स्पेशल मार्कर फॉर राइस सिरप (SMR) और ट्रेस मार्कर फॉर राइस सिरप (TMR) जैसे अन्य पैरामीटर भी हैं. इसके अलावा ओलिगोसैकैराइड टेस्ट राइस सिरप जैसे स्टार्च आधारित शुगर की मिलावट जांचने के लिए किया जाता है.
मानकों में संशोधन
डाउन टु अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार, FSSAI ने 2017 में पहली बार शहद में गन्ना, चावल या चुकंदर जैसी फसलों से बनी शुगर का पता लगाने वाले जांच को शामिल किया था. इन परीक्षणों से विदेशी शुगर की मिलावट का पता आसानी से लगाया जा सकता था. भारत ने SMR और TMR और ओलिगोसैकैराइड जांच को शहद की जांच में शामिल किया लेकिन बाद में इनमें फिर कई संशोधन कर दिए.
NMR की टेस्टिंग अनिवार्य
28 फरवरी 2020 को एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल (EIC) ने सभी शहद निर्यातकों के लिए NMR की टेस्टिंग अनिवार्य कर दी. शहद में मिलावट को पकड़ने और उसकी प्रामाणिकता की जांच के लिए ये कदम उठाया गया था. शहद की जांच के लिए NMR टेस्ट सबसे सही माना जाता है. NMR टेस्ट में किसी भी शुगर सिरप की मिलावट साफतौर पर पता चल जाती है. इतना ही नहीं, इससे ये भी पता चल जाता है कि शहद किस स्रोत से आया है.
NMR जांच जरूरी
C3 और C4 की जांच में जो मिलावटी शहद पकड़ में नहीं आ रहे हैं, उनकी NMR जांच कराना जरूरी है. यही वजह कि पिछले कुछ सालों में इस जांच को ज्यादा प्रभावी तरीके से अपनाने की मांग की जा रही है ताकि शहद में हो रही इन खतरनाक मिलावटों को रोका जा सके.