सीढ़ियां किसी भी घर की उन्नति से संबंध रखती हैं. यह जीवन के उतार चढ़ाव से संबंध रखती हैं. सीढ़ियां अगर घर के बाहर हों तो यह शुक्र से संबंध रखती हैं. अगर घर के अंदर हों तो यह मंगल से संबंध रखती हैं. वैसे कुल मिलाकर सीढ़ियों का संबंध राहु-केतु से होता है. गलत सीढ़ियां जीवन में आकस्मिक समस्याएं पैदा कर देती हैं. इनके कारण बिना वजह राहु केतु प्रभावित हो जाते हैं.
सीढ़ियों के निर्माण में किन बातों का ध्यान रखें?
नैऋत्य कोण में सीढ़ियां सबसे उत्तम मानी जाती हैं. सीढ़ियों का निर्माण उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए या पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिएं. मुख्य द्वार के सामने, ईशान कोण या आग्नेय कोण में सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए. सीढ़ियां जितनी कम घुमावदार होंगी उतना ही अच्छा होगा.
सीढ़ियां हमेशा चौड़ी होनी चाहिए और सीढ़ियों पर प्रकाश की उत्तम व्यवस्था होनी चाहिए. सीढ़ियों के नीचे बाथरूम, स्टोर या जल वाली चीजें नहीं होनी चाहिए. भूलकर भी सीढ़ियों के नीचे मंदिर न बनाएं.
अगर सीढ़ियां गलत बन गई तो क्या उपाय करें?
सीढ़ियों का रंग सफेद रखें. सीढ़ियों के साथ वाली दीवार पर लाल रंग का स्वस्तिक लगा दें. अगर सीढ़ियों के नीचे कुछ गलत निर्माण करा लिया है तो वहां पर एक तुलसी का पौधा लगाएं. सीढ़ियों के नीचे प्रकाश की उचित व्यवस्था करें. सीढ़ियों की शुरुआत वाले स्टेप पर और खत्म होने वाले स्टेप पर एक एक हरे रंग का डोरमैट रख दें. सीढ़ियों के नीचे पढ़ने-लिखने की वस्तुयें या किताब रखने की व्यवस्था कर सकते हैं.
सीढ़ियों के नीचे से गुजरने पर दुर्भाग्य
यह मान्यता पाश्चात्य देशों में ज्यादा प्रचलित है. लेकिन इसके पीछे कोई अध्यात्मिक या वैज्ञानिक कारण नहीं है. इसलिए इसको अंधविश्वास कहना ही ज्यादा उचित होगा.