सनातन धर्म में भगवान शंकर को त्रिदेवों में से एक और इनका निवास कैलाश पर्वत माना जाता है. भगवान शंकर को संहार का देवता भी कहा जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर ही निवास करते हुए आकाश मार्ग के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण भी करते रहते थे.
भ्रमण करते वक्त भगवान शंकर ने धरती पर जहां-जहां भी अपना पैर रखा था. वहां पर भगवान शंकर के पैरों के निशान आज भी मौजूद हैं. आइए जानते हैं कि भारत में ऐसे कौन-कौन से स्थान हैं जहां पर भगवान शंकर के पैरों के निशान मौजूद हैं.
उत्तराखंड के जागेश्वर धाम में है भगवान शंकर के पैरों के निशान:
भारत के देवभूमि कहे जाने वाले प्रदेश उत्तराखंड के अल्मोढ़ा जिले से केवल 36 किलोमीटर की दूरी पर जागेश्वर मंदिर नाम की एक पहाड़ी है. इसी पहाड़ी पर जंगल में 4 किलोमीटर चलने पर एक स्थान मिलता है जहां पर भगवान शंकर के पैरों के निशान दिखाई देते हैं. भगवान शंकर के इन पैरों के निशान के बारे में ऐसी मान्यता है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे तब पांडवों की इच्छा भगवान शिव के दर्शन करने और उनके सानिध्य में रहने की हुई. उधर भगवान शिव ध्यान करने के लिए कैलाश पर्वत जाना चाहते थे. लेकिन पांडव इस बात से सहमत नहीं थे. इस पर भगवान शिव पांडवों को चकमा देकर कैलाश पर्वत पर चले गए थे. ऐसा माना जाता है कि जहां से भगवान शिव ने कैलाश पर्वत जाने के लिए प्रस्थान किया था, उसी स्थान पर आज भी उनके पैरों के निशान देखे जा सकते हैं.
तमिलनाडु के थिरुवेंगडू और थिरुवन्ना मलाई में है भगवान शंकर के पैरों के निशान:
भारत के तमिलनाडु प्रदेश के थिरुवेंगडू में एक श्रीस्वेदारण्येश्वर का मंदिर है. इसी मंदिर में भगवान शंकर के पैरों के निशान मौजूद है. यहां पर इन पैरों के निशान को ‘रूद्र पदम’ कहा जाता है. जबकि भगवान शंकर के पैरों का दूसरा निशान तमिलनाडु के ही थिरुवन्ना मलाई में मौजूद है.
असम के तेजपुर में है भगवान शंकर के दाएं पैर का निशान:
भगवान शंकर के दाएं पैर का यह निशान असम के शोणितपुर जिले के तेजपुर शहर के रुद्र्पद मंदिर में मौजूद है. यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बना हुआ है.
झारखण्ड के रांची में भी है भगवान शंकर के पैर का निशान:
झारखण्ड के रांची रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किलोमीटर दूर ‘रांची हिल’ नामक एक पहाड़ी है. इसी पहाड़ी पर भगवान शंकर का एक प्राचीन मंदिर है. इस प्राचीन मंदिर को पहाड़ी मंदिर या नाग मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर में भगवान शंकर के पैरों के निशान आज भी मौजूद हैं. इस मंदिर के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि श्रावण के महीने में एक नाग मंदिर में ही अपना डेरा डाले रहता है.