अमेरिका में ट्रंप के जाने और बाइडन के आने से पहले मध्य-पूर्व में भारी हलचल है. सबसे ज्यादा इजरायल और सऊदी अरब बाइडन के सत्ता संभालने से पहले आशंकित दिख रहे हैं.
एक तरफ, इजरायली पीएम नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान के साथ जिस परमाणु करार को ट्रंप ने तोड़ा था, उसे बाइडन को बहाल नहीं करना चाहिए, तो दूसरी तरफ सऊदी अरब ने भी ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देते हुए इसी तरह का आग्रह किया है.
इसी बीच खबर आ रही है कि इजरायली पीएम नेतन्याहू और वहां की खुफिया एजेंसी मोसाद प्रमुख ने सऊदी अरब का दौरा कर वहां के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान से मुलाकात की है. टाइम्स ऑफ इजरायल ने इस खबर को ब्रेकिंग के तौर पर प्रकाशित किया है.
टाइम्स ऑफ इजरायल के अनुसार, नेतन्याहू का यह पहला सऊदी दौरा है. नेतन्याहू का सऊदी का दौरा ऐसे वक्त में हुआ है, जब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी रियाद में हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेतन्याहू सऊदी की रेड सी सिटी निओम में करीब पांच घंटे रुके रहे. पोम्पियो ने सोमवार को सऊदी क्राउन प्रिंस के साथ अपनी मुलाकात को सकारात्मक करार दिया. पोम्पियो सात देशों के दौरे पर हैं जिसमें इजरायल और कई खाड़ी देशों का दौरा भी शामिल हैं. हालांकि, पोम्पियो ने इजरायली प्रधानमंत्री के मौजूद होने को लेकर कोई जिक्र नहीं किया था.
अमेरिका के विदेश मंत्री पोम्पियो ने ट्वीट किया, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात सकारात्मक रही. हमारी सुरक्षा और आर्थिक साझेदारी मजबूत है और खाड़ी में ईरान के प्रभाव को बढ़ने से रोकने और विजन 2030 प्लान के तहत आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हम इस साझेदारी को और आगे ले जाएंगे.
हालांकि, इजरायल, अमेरिका या सऊदी अरब की तरफ से नेतन्याहू के सऊदी दौरे से जुड़ी रिपोर्ट्स को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. नेतन्याहू के सऊदी दौरे की रिपोर्ट्स तब आईं जब कुछ ट्विटर यूजर्स ने गौर किया कि रविवार की शाम को तेल अवीव और निओम के बीच एक प्राइवेट जेट ने उड़ान भरी है. इसके बाद ही, उच्च स्तरीय बैठक की चर्चा शुरू हो गई.
नेतन्याहू के एक सहायक ने भी इस दौरे को लेकर एक संकेत दिया. उन्होंने रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज के एक नौसैन्य घोटाले की जांच शुरू करने से जुड़ी एक रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए लिखा, गैंट्ज राजनीति करने में व्यस्त हैं जबकि प्रधानमंत्री शांति कायम करने की कोशिश कर रहे हैं.
नेतन्याहू रविवार रात को कोरोना वायरस को लेकर कैबिनेट बैठक भी करने वाले थे लेकिन बाद में इसे एक दिन के लिए स्थगित कर दिया. नेतन्याहू ने कहा कि इसके लिए अभी ग्राउंडवर्क पूरा होना बाकी है.
रक्षा मंत्री गैंट्ज से यूएई और बहरीन के साथ संबंध बहाल करने की कोशिशें भी छिपाकर रखी गई थी. गैंट्ज ने रविवार को शिकायत की कि उन्हें कोरोनावायरस कैबिनेट बैठक के टाले जाने की सूचना नहीं दी गई. इजरायली प्रधानमंत्री का सऊदी दौरा खाड़ी देशों के साथ इजरायल के संबंधों में ऐतिहासिक बदलाव का संकेत हो सकता है.
ट्रंप प्रशासन पिछले कुछ महीनों से इजरायल और खाड़ी देशों के रिश्ते सामान्य करने की कोशिशें कर रहा है. नेतन्याहू ने मई 2019 में खाड़ी देश ओमान का गोपनीय दौरा किया था. ओमान के साथ भी इजरायल के कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं.
पिछले कुछ सालों से इजरायल और सऊदी अरब के रिश्ते चोरी-छिपे आगे बढ़ते रहे हैं. इजरायल को लेकर रणनीति में इस बदलाव की वजह सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान हैं जो क्षेत्र में ईरान के खिलाफ इजरायल को अपने स्वाभाविक साझेदार के रूप में देखते हैं.
ट्रंप प्रशासन ने भी उम्मीद जाहिर की थी कि यूएई और बहरीन के बाद सऊदी अरब इजरायल के साथ अपने रिश्ते सामान्य करने की तरफ कदम बढ़ाएगा.
अक्टूबर महीने के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया था कि इजरायल और सूडान के बीच भी रिश्ते बहाल होंगे. ट्रंप ने सऊदी अरब को लेकर भी उम्मीद जताई थी कि वो भी इजरायल को मान्यता देगा. ट्रंप ने इसे लेकर क्राउन प्रिंस और किंग सलमान की प्रशंसा की थी.
सबसे पहले यूएई ने अमेरिका की मध्यस्थता में इजरायल से राजनयिक संबंध बहाल किए थे. इसके बाद बहरीन ने इजरायल से रिश्ते बहाल करने की घोषणा की थी. फिलीस्तीन ने अमेरिका की इन कोशिशों की आलोचना की थी और कहा था कि इससे फिलीस्तीनियों को इंसाफ मिलने में बाधा पैदा होगी.
हालांकि, सऊदी अरब यूएई के इस कदम की आलोचना करने से दूर ही रहा. वहीं, सरकार नियंत्रित सऊदी मीडिया ने समझौते को क्षेत्रीय शांति के लिए अच्छा और ऐतिहासिक कदम करार दिया था. सऊदी ने यूएई के लिए इजरायली फ्लाइट्स के अपने एयरस्पेस के इस्तेमाल की अनुमति भी दी थी.
सऊदी के इस कदम से ठीक पहले, ट्रंप के दामाद और वरिष्ठ सलाहकार जारेद कशनेर ने सऊदी के क्राउन प्रिंस से मुलाकात की थी. मौजूदा अमेरिकी प्रशासन और इजरायल की कोशिश है कि ट्रंप के व्हाइट हाउस में बचे हुए दिनों में ईरान पर अधिकतम दबाव बनाया जाए.