चाणक्य ने किस-किस को बताया मूर्ख ?

चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को यदि सम्मान पाना है, और भीड़ से अलग दिखना है तो कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति अपने कार्यों से सम्मान और अपमान प्राप्त करता है.

व्यक्ति जब अपने भीतर अच्छे गुणों को जागृत कर लेता है तो वो सफल और महान कहलाता है, वहीं जब व्यक्ति अपने भीतर अवगुणों को विकसित कर लेता है और लोकाचार की शैली का ध्यान नहीं रखता है, तो वह मूर्ख कहलाता है.

चाणक्य के बारे में सभी जानते हैं कि वे कितने महान शिक्षक थे. लेकिन आचार्य चाणक्य एक योग्य शिक्षक होने के साथ साथ एक कुशल अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ भी थे. चाणक्य ने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी न ही संसाधनों के अभाव का रोना रोया.

चाणक्य ने कभी अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं होने दिया और निरंतर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघर्षरत रहें. अपने इन्ही आचरण और योग्यता के कारण चाणक्य की गिनती श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है.

चाणक्य के अनुसार वह व्यक्ति मूर्ख कहलाता है जो किसी भी नई चीज को समझने और जानने के लिए तैयार नहीं होता है. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को जीवन में यदि सफल होना है तो स्वयं को निरंतर तरासते रहना चाहिए और हर संभव प्रयासों से कुछ नया सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए. चाणक्य के अनुसार इन कार्यों को नहीं करना चाहिए.

स्वयं की प्रशंसा सुनने की आदत का त्याग करें

चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति सदैव प्रशंसा सुनने के लिए कार्यों को करता है, वह स्वयं को ध्यान में रखता है. व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों का सही तरह से निभाने का प्रयास करना चाहिए. जो व्यक्ति मानव कल्याण की भावना को लेकर कार्य करते हैं वे सम्मान प्राप्त करते हैं.

सामने वाले को कमतर न आंके

चाणक्य के अनुसार वे लोग सदैव धोखा खाते हैं और हंसी पात्र बनते हैं जो सामने वालों को कमजोर और अज्ञानी समझते हैं. हर व्यक्ति में कोई न कोई विशेष प्रतिभा होती है. इसलिए दूसरों को भी सम्मान देना चाहिए जो लोग स्वयं को ही प्रतिभावान समझते हैं वे असली सम्मान से वंचित रहते हैं.

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