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खुर्शीद के निशाने पर क्‍यों आये सिब्बल- Amar Bharti Media Group राजनीति

खुर्शीद के निशाने पर क्‍यों आये सिब्बल

बिहार विधानसभा चुनावों में मिली शर्मनाक हार के बाद कांग्रेस में एकबार फिर सत्ता परिवर्तन की मांग उठने लगी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल एक इंटरव्यू के दौरान यह बात खुलकर कह चुके हैं. सिब्बल की टिप्पणी के बाद कांग्रेस में गुटबाजी साफ नजर आने लगी है.

एक-एक कर तमाम नेता अब सिब्बल के बयान पर पलटवार कर रहे हैं. सोमवार को जहां राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि किसी को पार्टी के मसले मीडिया में नहीं ले जाने चाहिए, वहीं अब पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी फेसबुक पोस्ट के जरिए सिब्बल के बयान पर निशाना साधा है.

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपने फेसबुक पोस्ट की शुरुआत आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर की लाइनों के साथ की है. खुर्शीद ने लिखा है, ‘न थी हाल की जब हमें खबर रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर तो निगाह में कोई बुरा न रहा.’ एक तरह से देखें तो बहादुर शाह जफर की इन लाइनों के जरिए खुर्शीद कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करने वाले नेताओं को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दे रहे हैं.

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खुर्शीद अपनी पोस्ट में आगे लिखते हैं कि बहादुर शाह जफर और ऊपर दिए गए उनके शब्द हमारी पार्टी के कई सहयोगियों के लिए एक उपयोगी साथी हो सकते हैं, जो समय-समय पर चिंता का दर्द झेलते हैं.

जब हम कुछ बेहतर करते हैं, तो निश्चित रूप से कुछ हद तक वे इसे आसानी से कबूल कर लेते हैं. लेकिन जब हम कमजोर होते हैं, तो वे अपने नाखूनों से कचोटने की जल्दी में होते हैं. ऐसा लगता है कि अब तो भविष्य की निराशा के लिए उनके बहुत कम ही नाखून बचे होंगे.

खुर्शीद ने कहा है कि यदि वोटर उन उदारवादी मूल्‍यों को अहमियत नहीं दे रहे जिनका हम संरक्षण कर रहे हैं तो हमें सत्‍ता में आने के लिए शॉर्टकट तलाश करने के बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए.

अपने पोस्‍ट में खुर्शीद ने आगे यह भी लिखा है कि सत्‍ता से बाहर किया जाना सार्वजनिक जीवन में आसानी से स्‍वीकार नहीं किया जा सकता लेकिन अगर यह मूल्‍यों की राजनीति का परिणाम है तो इसके सम्‍मान के साथ स्‍वीकार किया जाना चाहिए.

अगर हम सत्‍ता हासिल करने के लिए अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करते हैं तो इससे अच्‍छा है कि हम ये सब छोड़ दें.