“बार-बार एक बात आती है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में डाल दिया जाए।”
“अगर जीएसटी में पेट्रो उत्पादों को डाल दिया गया तो राज्यों को हर साल दो से ढाई लाख करोड़ से ज्यादा के नुकसान की भरपाई कहां से होगी? “ – सुशील मोदी
नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को वित्त विधेयक 2021 पर बहस करते हुए भाजपा सांसद सुशील मोदी ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में न डाले जाने के पीछे के कारण को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि अगले आठ से दस वर्षों तक अभी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में नहीं डाला जा सकता। सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता जीएसटी का बाहर तो खूब विरोध करते हैं, लेकिन, जब जीएसटी काउंसिल की बैठक होती है तो एक भी मुख्यमंत्री या वित्तमंत्री ने इसके स्ट्रक्चर का कभी विरोध नहीं किया। भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि अगर डीजल-पेट्रोल से होने वाली आमदनी को देश के विकास में खर्च किया जा रहा है तो फिर दिक्कत क्या है? सुशील मोदी ने बताया कि सौ रुपये का पेट्रोल-डीजल है तो 60 रुपये टैक्स मिलता है। जिसमें 35 रुपया केंद्र को मिलता और 25 रुपये स्टेट को मिलता है।पेट्रोल-डीजल से केंद्र और राज्यों को करीब 60 प्रतिशत रेवेन्यू और लगभग पांच लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष मिलते हैं।”उन्होंने बताया कि जीएसटी की उच्चतम दर 28 प्रतिशत है, जबकि अभी पेट्रोल-डीजल पर 60 प्रतिशत टैक्स लिया जा रहा है। ऐसे में अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में डाल दिया गया तो दो से ढाई लाख करोड़ की भरपाई कहां से होगी? सुशील मोदी ने बताया कि जीएसटी में डाल देने से सौ रुपये के पेट्रोल-डीजल पर केंद्र और राज्य को केवल 12 रुपये टैक्स प्राप्त होगा। इस प्रकार 48 रुपये का जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई कहां से होगी?
भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा, “कांग्रेस या बीजेपी की सरकार हो, कोई सरकार ढाई लाख करोड़ रुपये नुकसान की भरपाई करने को तैयार नहीं है। यह संभव नहीं है कि आने वाले 8-10 साल साल में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में डाला जा सके।”
जीएसटी के फायदे गिनाते हुए सुशील मोदी ने राज्यसभा में कहा कि आज बॉर्डर पर कोई चेक पोस्ट नहीं है। टाइम सेविंग हुई है। जीएसटी लागू होने के दौरान विपक्ष ने बहुत विरोध किया था।