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हाथरस में मीडिया को अंदर जाने से क्यों रोका गया- Amar Bharti Media Group जुर्म

हाथरस में मीडिया को अंदर जाने से क्यों रोका गया

स्नेहा मौर्य । गाजियाबाद ।। हाथरस पुलिस इतनी गिर जाएगी यह तो कभी सोचा ही नहीं था। गांव के अंदर जाने से रोक रहे थे, आखिर ऐसा कौन सा राज छुपा हुआ था हाथरस में की मीडिया को अंदर जाने से रोका जा रहा था।

इतने बड़े बड़े अधिकारी और पुलिस उतारू हो गए बदतमीजी पर। जिससे अवश्य ही अधिकारों के नाम पर कलंक लगता है। यहीं नहीं स्पेक्टर और पुलिस के खिलाफ सख्त कार्रवाई करी जानी चाहिए, ना बात करने की तमीज ना ही लड़की की इज्जत करने की तमीज थी।

इतनी गिनोनी हरकतें पर उतारु हो जाएगगे कि आज मीडिया के साथ ऐसा कर रहे हैं जिसे तो पूरा देश देख रहा है। ऐसे में गांव की लड़की के साथ और क्या-क्या होता होगा इसका तो हम अंदाजा भी नहीं लगा सकतें।

अधिकारी को सस्पेंड किया गया जिस गांव की पुलिस और अधिकारी बत्तमीज हो उस गांव की स्थिति ना चाहते हुए भी ऐसी अनहोनी होनी ही थी क्योंकि जब पुलिस अपना काम ही सही तरीके से नहीं कर रही तो वहां की स्थिति ओर गंभीर होनी अनिवार्य है।

पुलिस ने लापरवाही की थी वह मनीषा हमारे बीच नहीं रही नही तो मनीषा भी आज हमारे बीच खड़ी होती और अगर पुलिस ने ऐसा किया ना होता तो हाथरस के एसपी डीएसपी गिरफ्तार किए गए। पुलिस ने इतना टाइम लगा दिया पुलिस हर बात पर पर्दा डाल रही है पर यह सब ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता। पुलिस प्रशासन को शर्म आनी चाहिए।

बीते दिन आधी रात को तो खाकी वर्दी वालों की स्थिति व तांडव कर के अपनी वर्दी पहनकर हर चीज ढकने पहुंचने की कोशिश चल रही है, अंधेरी रात को अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए अंधेर गर्दी करते हैं।

एक छोटे से गांव में दलित की बच्ची को इतनी भयानक मौत नहीं होनी चाहिए थी ताकि वह पूरे रस्मो रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार कर सकें लेकिन पुलिस प्रशासन ने सारे निर्णय खुद ही ले लिए व पीड़िता के मां-बाप रोते रह गए लेकिन शव को नहीं दिया, तड़पती रह गई वह मां अपने बच्ची को देखने के लिए पर यह आस ही रह गई पर फिर भी बेटी की लाश नही दी, खुद ही अंतिम संस्कार कर दिया।

पुलिस प्रशासन की गुंडागर्दी सामने इस दुष्कर्मी के होने के बाद यही नहीं लड़की के सामने ही रेप का मामला सामने आता है और 15 दिन तक संघर्ष करती रही एफ आई आर दर्ज भी पुलिस ने नहीं करवाई दर्द के मारे तड़पती रही एमस का बहाना करके सफदरजंग हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।

अगर पुलिस ने इस मामले में सतर्कता दिखाई होती तो शायद मनीषा बाल्मीकि हमारे साथ होती। जब बात होती निर्भया की तो उस समय किस सत्ता से सवाल पूछते, जब हाथरस की बेटी की बात होगी तो उस समय की सत्ता से सवाल पूछेंगे।

पीड़ित की आवाज उठाएंगे यह न्याय की बात है यह यह सच की बात है कहां बैठी है हमारी सरकार जो इतना सब कुछ देख कर अनदेखा कर रही है। वह हमारी देश की बेटी को इंसाफ नहीं मिल रहा और सरकार अपना कोई सुझाव नहीं दे रही।

क्या मनीषा वाल्मीकि को मिलेगा न्याय या ऐसा पर्दा डालते रह जाएंगे हाथरस की पुलिस और अधिकारी एक पीड़ित दलित परिवार की वेदना को दबाने के लिए। रोने में उत्तर प्रदेश सरकार ने मर्यादा की सभी सीमाओं को अतिक्रमण कर दिया है और यह सब देखने के बाद यह पता चलता है कि इस देश में लड़कियों का कोई सम्मान या इज्जत ही नहीं है आए दिन रेप के केस सामने आते हैं लेकिन बात छुपा देते हैं उस बात पर पर्दा डाल देते हैं सरकार की इज्जत खराब ना हो लेकिन अब यह और ज्यादा दिन नहीं चलने वाला।