Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the updraftplus domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114
सेना में हर स्तर पर अब महिलाएं संभालेंगी कमान- Amar Bharti Media Group विशेष विशेष

सेना में हर स्तर पर अब महिलाएं संभालेंगी कमान


#सैन्य वायु रक्षा, सिग्नल, इंजीनियर, सैन्य विमानन, इलेक्ट्रॉनिक एवं मैकेनिकल इंजीनियर, सैन्य सेवा कोर और खुफिया कोर में अब महिलाये देश का प्रतिनिधित्व करती नज़र आएगा ।


#रक्षा मंत्रालय ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिये आदेश जारी कर दिया है ।  

उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में एक ऐतिहासिक निर्णय में निर्देश दिया था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) योजना के तहत भर्ती की गईं सभी सेवारत महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार किया जाए. सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा कि सरकारी आदेश से सेना में बड़ी भूमिकाओं में महिला अधिकारियों की भागीदारी का रास्ता साफ हो गया है।

भारतीय सेना के सभी 10 अंगों में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश देता है. सैन्य वायु रक्षा, सिग्नल, इंजीनियर, सैन्य विमानन, इलेक्ट्रॉनिक एवं मैकेनिकल इंजीनियर, सैन्य सेवा कोर और खुफिया कोर में अब महिलाये देश का प्रतिनिधित्व करती नज़र आएगी ।

दुनिया में आज हर क्षेत्र में महिलायें आगे बढ़ रही है और ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कर रही हैं. भारतीय इतिहास नारी की त्याग-तपस्या की गाथाओं से भरा पड़ा है। किसी युग में महिलाएं पुरुषों से कमतर नहीं रहीं। वैदिक युग में महिलाएं युद्ध में भी भाग लेती थीं।


हालांकि, मध्यकाल के पुरुषवादी समाज ने नारी को कुंठित मर्यादाओं के नाम पर चार-दीवारी में कैद कर रखने में कोई कसर नहीं छोडी, परन्तु तब भी महिलाओं ने माता जीजाबाई और रानी दुर्गावती की तरह न केवल शास्त्रों से, अपितु शस्त्रों का वरण कर राष्ट्र की एकता और संप्रभुता की रक्षा की। वर्तमान में केवल भारतीय वायुसेना ही लड़ाकू पायलट के रूप में महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में शामिल करती है। वायुसेना में 13.09% महिला अधिकारी हैं, जो तीनों सेनाओं में सबसे अधिक हैं। आर्मी में 3.80% महिला अधिकारी हैं, जबकि नौसेना में 6% महिला अधिकारी हैं।

परन्तु अपने विशिष्ट शारीरिक विन्यास के कारण पुरुषों से आमतौर पर कमजोर समझी जाने वाली महिलाओं को ‘प्रतिरक्षा सेवाओं’ में इतनी आसानी से स्वीकृत नहीं किया गया। भारत में 1992 में केवल पांच वर्षों की अवधि के लिए महिला अधिकारियों की भर्ती  शुरू हुई, अंत में इसे बढ़ाकर 10 और बाद के अवधि में 14 वर्ष कर दिया गया। 2016 में तीन महिलाओं को फायटर पायलट के रूप में तैनात किया गया था। इनकी नियुक्ति पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। शुरू में केवल चिकित्सा सेवाओं तक सीमित भूमिका में रही सैन्य अफसर महिलाओं को  2019 में सरकार ने उन सभी दस शाखाओं में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का फैसला किया जहां उन्हें शॉर्ट सर्विस कमीशन  के लिए शामिल किया गया है – सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कोर और इंटेलिजेंस।

आज महिला अधिकारी भारतीय सशस्त्र बलों की गर्व और आवश्यक सदस्य हैं । अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह अब भारतीय वायुसेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन का हिस्सा हैं। कहीं नेवी में पायलट और कहीं ऑब्जर्वर के तौर पर महिलाएं समुद्री टोही विमान में सवार हैं, तो कहीं आसमान से लड़ाकू की भूमिका में है।

भारत  सरकार सेना में “स्त्री  शक्ति” (महिला शक्ति) को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

हालाँकि, महिला अधिकारियों को उनके पुरुष सहयोगियों के साथ लाने में चुनौतियाँ हैं ।


महिला अधिकारियों को अब लड़ाकू जेट के पायलट और युद्धपोतों पर तो तैनात किया जाता है, लेकिन सेना में महिला अधिकारियों को सेना के पैदल सेना और बख्तरबंद डिवीजनों में, दुश्मन और यातना द्वारा पकड़े जाने के डर से शामिल नहीं किया जाता है।

अमेरिका अपने महिला सैनिकों को युद्ध के मोर्चे पर भेजता है और वे वहां मारी भी जाती हैं और युद्धबंदी भी बनाई जाती हैं. इससे न तो देश की, न ही अमेरिकी औरतों की इज्जत खराब होती है।

सोचने की बात यह है की जब अमेरीकी फ़ौज की महिलाएं इराक़ और अफग़ानिस्तान में लड़ सकती हैं, तो भारतीय महिलाएँ क्यों नहीं? अगर पैरामिलिट्री फोर्सेज व पुलिस में महिलाओं की भागेदारी हो सकती है, तो सेना में क्यों नहीं?  भारत में महिलाओं को मोर्चे पर न भेजने का एक बड़ा तर्क ये होता है कि अगर दुश्मन देश में भारतीय महिला सैनिकों को बंदी बना लिया तो क्या होगा? एक भ्रान्ति ये भी कि पुरुष सैनिक, जो मुख्यतः ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं, एक महिला कमांडर को “स्वीकार” करने के लिए तैयार नहीं होते हैं ।


महिला अधिकारियों के शरीर विज्ञान, मातृत्व और शारीरिक विशेषताओं पर चिंताएँ उठाई जाती हैं।

महिला अधिकारियों और उनके पुरुषों के समकक्षों के लिए सेवा की शर्तों में अंतर उनके पक्ष में माना जाता है। महिला अधिकारियों को भर्ती के दौरान शारीरिक दक्षता परीक्षण मानकों में रियायतें हैं।

महिला अधिकारी नियुक्तियों में स्वच्छता, संवेदनशीलता और गोपनीयता के मुद्दों पर अतिरिक्त विचार करने की आवश्यकता होती है।

इसके लिए पहले सामाजिक स्तर पर व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता होगी।

दुनिया और भारत के इतिहास में महिला योद्धाओं का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है।

जॉन ऑफ आर्क से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, चित्तुर की रानी चेनम्मा, चांद बीवी, गोंड रानी दुर्गावती, झलकारी बाई, उदादेवी पासी जैसी योद्धाओं ने अपना नाम  पुरुष योद्धाओं से भी बढ़कर कमाया है. इनके साथ कभी ये सवाल नहीं आया कि वे युद्ध क्षेत्र में कपड़े कैसे बदलती थीं या कि वे योद्धा होने के दौरान गर्भवती हो जातीं तो क्या होता ?  आखिर ऐसा क्या है कि जो बात पहले हो सकती थी, वह आज नहीं हो पा रही है? कहीं हमारी घटिया मानसिकता तो महिलाओंकी भूमिका को कमजोर करने पर नहीं तुली??

भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका को कैसे बढ़ाया जा सकता है इस पर  अध्ययन किये जाने संतुलित सोचने की की ज़रूरत है। इसमें कोई संदेह नहीं कि महिलाएँ सेना में बहुत से कार्य बेहतर ढंग से कर रही हैं लेकिन हमें यह भी देखने की ज़रूरत है कि इनके कार्यक्षेत्र को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है।

महिला अधिकारियों को दी जाने वाली कुछ रियायतें वापस ली जा सकती हैं, कमांड के लिए चयन अधिकारी की गोपनीय रिपोर्टों और बंद पदोन्नति बोर्ड के माध्यम से किया जाना चाहिए, दोनों लिंगों के लिए सामान्य, और प्रोफ़ाइल के नाम और लिंग चयन बोर्ड से छिपाए जाने चाहिए।

जेंडर इक्वेलिटी ’समय की सामाजिक जरूरत है और यह महिला और पुरुष दोनों अधिकारियों पर लागू होता है और सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता से समझौता किए बिना संतुलित निर्णय की भावना से इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। महिलाओं की भागीदारी सेना को और ज़्यादा प्रभावी बना सकती है ।


आज महिलाएँ पूरी दुनिया में सैन्य क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।  

अगर कोई महिला अपनी मर्जी से, तमाम जोखिम को जानकर, सेना में आती है, तो किसी को भी उसका पिता बनकर उसके लिए फैसला करने का अधिकार नहीं है।

अगर महिलाएं तमाम जोखिम को समझकर और तमाम दिक्कतों का सामना करने के लिए तैयार होकर सेना में शामिल होती हैं, तो सेना में हर तरह की भूमिकाएं उनके लिए खोल देनी चाहिए ।

फ़ौज और मिलिट्री एक एकीकृत संस्था के रूप में काम करती है और महिलाओं व पुरुषों के साथ काम करने से राह आसान ही होगी ।  

जब जवान के स्तर पर महिलाएँ शामिल होंगी तभी पुरुष जवानों का महिला अफ़सर पर विश्वास मज़बूत होगा और सेना सशक्त हो कर उभरेगी ।

– प्रियंका सौरभ-