Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the 3d-flip-book domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the updraftplus domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114
ड्रोन हमलों से जूझता 'विश्व' और अनसुलझे सवाल- Amar Bharti Media Group राष्ट्रीय, विशेष

ड्रोन हमलों से जूझता ‘विश्व’ और अनसुलझे सवाल

दुनिया में दो दिन में ड्रोन हमलों की 3 बड़ी वारदातें

किसी ने बदला ले लिया तो कोई सुराग ही जुटाने में जुटा

शैलेंद्र जैन ‘अप्रिय’

नई दिल्ली। हम किसी भी कालखण्ड के बारे में अध्ययन करें तो हमें एक चीज में समानता मिलती है, वह है ‘युद्ध’। किसी युग का इतिहास पढ़ें, किसी देश का या फिर आक्रोश से पनपने वाली परिस्थितियों के बारे में, ‘युद्ध’ कल भी होते थे, युद्ध आज भी होते हैं और मनुष्य के स्वभावतः यह आगे भी होते ही रहेंगे। बस, बदले हैं तो युद्ध के तरीके। उनके बदलावों के चलते पूरी दुनिया में इसके बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

दरअसल, एक दिन पहले जम्मू में एयरफोर्स स्टेशन के टेक्निकल एरिया में देर रात दो धमाके हुए। दोनों धमाकों को करने के लिए ‘ड्रोन’ का इस्तेमाल किया गया था। एक धमाका एक कमरे की छत पर हुआ, जिससे कि छत में सुराख हो गया और दूसरा धमाका खुली जगह पर हुआ। हालांकि, भारतीय वायुसेना ने ट्वीट कर जानकारी भी दी थी कि कोई हताहत नहीं हुआ। लेकिन, इस हमले ने ख़ुफ़िया तंत्र की नींद हराम कर दी थी। नागरिक सुरक्षा एजेंसियों से लेकर एनआईए और अन्य ख़ुफ़िया एजेंसियों का जमावड़ा वहाँ होने लगा। जाँच शुरू हुई। उच्च स्तरीय बैठक हुई। रक्षामंत्री को इस बारे में ब्रीफ किया गया। शाम को, डीजीपी दिलबाग सिंह ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर यह बात कही कि, ‘यह आतंकी हमला था, जोकि ड्रोन से किया गया था।’ दरअसल, इस आतंकी हमले में दो ड्रोन इस्तेमाल किए गए जिसमें ‘हाई ग्रेड’ की विस्फोटक सामग्री इस्तेमाल की गई थी। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की बॉम्ब डेटा सेंटर की एक-एक टीम भारतीय वायु सेना बेस की जांच करने पहुंची थी। वहीं, जम्मू पुलिस ने आतंकवाद की धाराओं के तहत इसका मामला दर्ज कर लिया था।

अब, सबसे पहले तो यह सामने आता है कि क्या यह भारत पर पहला ड्रोन हमला था? क्या आतंकी संगठन भी अब ड्रोन का इस्तेमाल करने लगे हैं? क्या युद्ध के लिए इस तरीके का इस्तेमाल, वह भी आतंकियों द्वारा, विश्व के किसी भी देश के लिए खतरनाक नहीं है? यह सवाल इसलिये और भी ज़्यादा जरूरी हो जाते हैं क्योंकि, इस घटना की अगली रात यानी 27/28 जून की रात भी दो ड्रोन सैन्य एरिया रतनूचक-कालूचक में देखे गए। तुरंत ही हाई अलर्ट की घोषणा कर दी गई। क्विक रिएक्शन टीम ने गोलाबारी भी की। दोनों ड्रोन भाग भी गए और सुरक्षाबलों ने हमले को नाकाम भी कर दिया। लेकिन, क्या यह यहीं ख़त्म हो गया?

आइये, आपको विश्व की एक और घटना की ओर ले चलते हैं। अभी कुछ घण्टों पहले ही अमेरिका ने ईरान समर्थित लड़ाकों पर हमला कर दिया है। अमेरिका के रक्षा विभाग ने बाकायदा एक बयान जारी कर कहा कि, उसने ईराक और सीरिया में यह कार्रवाई ईराक में अमेरिकियों पर हुए ड्रोन हमले के जवाब में की है। पेंटागन ने बताया है कि, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इराक़-सीरिया सीमा पर हमले के आदेश दिये थे। अमेरिका ने जो भी कार्रवाई की है वो अपने क़ानून के दायरे में और आत्मरक्षा के लिए की है। पेंटागन के प्रवक्ता किर्बी ने यह भी कहा कि, ये टारगेट इसलिए चुने गए क्योंकि इन जगहों का इस्तेमाल ईरान समर्थित लड़ाके, इराक़ में अमेरिकी कर्मियों और सुविधाओं के ख़िलाफ़ ड्रोन हमले में करते हैं।

अब ज़रा आँकलन करिए कि क्या भारत सब कुछ जानकर ऐसा कोई कदम उठा सकता है, जिससे दोबारा कोई ड्रोन हमला उसे न सहना पड़े? साथ ही, ग़ौर करने वाली बात यह है कि जो भी ड्रोन इस्तेमाल किये जा रहे हैं, वे किस मुल्क़ से निर्मित हैं। यानी, वह मुल्क़ भी दुनिया मे दहशतगर्दी फैलाने में आतंकी संगठनों का साथ दे रहा है। क्या भारत आतंकी को पनाह देने और इस प्रकार के हथियार मुहैय्या कराने वाले मुल्कों को पटकनी दे सकता है? क्या ‘विश्वगुरु’ भारत इतना सक्षम है कि अमेरिका की तरह दूसरे देशों में बैठे हिन्दुस्तान के दुश्मनों को सीधे ठोंक दे और सीना तान कर दुनिया से आँख से आँख मिलाकर कह सकता है, “हाँ, हमने मारा है दुश्मनों को, क्योंकि ये केवल ‘भारत’ के नहीं, इंसानियत के भी दुश्मन थे।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *