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दिल्ली की अदालतों में शौचालयों की दयनीय स्थिति ?- Amar Bharti Media Group राज्य, Delhi, नई दिल्ली राज्य

दिल्ली की अदालतों में शौचालयों की दयनीय स्थिति ?

ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन द्वारा 13 फरवरी 1931 को नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ। बोलचाल की भाषा में दिल्ली और नई दिल्ली दोनों बोलते हैं। तब से लेकर अब तक दिल्ली ने बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं। नई दिल्ली को भारत के राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। यहीं पर सर्वोच्च न्यायालय भी है। दुनिया के किसी भी देश की राजधानी में पेड़ पौधों के मामले में नई दिल्ली को तीसरा स्थान प्राप्त है। लगभग चार करोड़ की आबादी यहां पर निवास करती है। इतना सब होने के बाद भी दिल्ली की अदालतों में शौचालयों की स्थिति अत्यंत दयनीय है।दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्वच्छता एवं सुरक्षा के पहलुओं पर सभी जिला अदालतों में प्रसाधन कक्ष सुविधाओं में निरीक्षण करने का आदेश देते हुए कहा है कि साफ-सुथरा और सुरक्षित शौचालय विशेष रूप से महिलाओं के लिए एक मूलभूत आवश्यकता है।


उच्च न्यायालय ने शहर के सभी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को यह सुनिश्चित करने के लिए विषय का संज्ञान लेने का निर्देश दिया कि पुरुषों और महिलाओं के लिए सभी प्रसाधन कक्ष सुविधाओं का निरीक्षण सुनिश्चित हो और यह उनके अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों में किया जाए।


अदालत ने दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को यह सुनिश्चित करने के लिए सुधारात्मक उपाय करने का निर्देश दिया कि जिला अदालतों में सभी पुरुष और महिला प्रसाधन कक्ष सुविधाएं चालू हालत में हों और स्वच्छ वातावरण हो।
न्यायमूर्ति संजीव नरुला ने कहा, ‘‘इस अदालत का फिर से यह कहना है कि स्वच्छ, चालू हालत में और सुरक्षित प्रसाधन कक्ष सुविधाएं मुख्य रूप से बार की महिला सदस्यों के लिए मूलभूत आवश्यकता है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला वकीलों की सुरक्षा, निजता और स्वास्थ्य का अवश्य ही ध्यान रखा जाना चाहिए और प्रतिवादियों से इस विषय को गंभीरता से लेने की उम्मीद की जाती है।


न्यायमूर्ति नरुला ने कहा, ‘‘पीडब्ल्यूडी और अन्य नगर निकाय एजेंसियां इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अन्य हितधारकों के साथ पूर्ण सहयोग और समन्वय करेंगी।’’
इन निरीक्षणों में प्रसाधन कक्षों में स्वच्छता और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए तथा किसी तरह की मरम्मत या सुधार का संकेत देने वाली अनुपालन रिपोर्ट दो हफ्तों के अंदर अदालत में दाखिल की जाए।स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए न्यायाधीश ने सभी जिला अदालतों में महिलाओं के प्रसाधन कक्षों का गहन निरीक्षण करने के लिए एक अदालत आयुक्त नियुक्त किया है।


उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालत आयुक्त को प्रसाधन कक्षों की दशा पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करें जिसमें कमियों को रेखांकित किया जाए।दिल्ली गठन के लगभग 100 वर्ष पूरे होने के बाद भी जहां लोग न्याय की आस लेकर जाते हैं। वहां बुनियादी सुविधाओं की दयनीय स्थिति पर दिल्ली एवं केंद्र सरकार दोनों को सोचने की आवश्यकता है कि किस तरह इन समस्याओं से निजात पाई जाए।

लेखक : राकेश रोशन