सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की और इस दौरान मानवीय सुविधाओं के लिए हाईकोर्ट के तीन पूर्व जजों की कमेटी बनाई है। ये कमेटी सीबीआई और पुलिस जांच से अलग मामलों को देखेगी। यह समिति महिलाओं से जुड़े अपराधों और अन्य मानवीय मामलों व सुविधा की निगरानी करेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस आशा मेनन और जस्टिस शालिनी पंसाकर जोशी की तीन सदस्यीय न्यायिक जांच कमेटी बनाई है।
वहीं सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हम जमीनी स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं, हम सभी शांति की बहाली चाहते हैं. कोई भी छोटी चूक बहुत गहरा असर डाल सकती है। मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह जातीय हिंसा और प्रशासन द्वारा इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों तथा प्रभावी जांच के उद्देश्य से मामलों को अलग करने संबंधी प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष पेश हुए। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले अलग-अलग करने सहित विभिन्न मामलों पर शीर्ष अदालत द्वारा एक अगस्त को मांगी गई रिपोर्ट उसे सौंपी। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।