बिहार के तीसरे और अंतिम चरण के 15 जिलों की 78 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को चुनावी प्रचार का शोर थम गया है. अंतिम दिन चुनाव प्रचार में सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी.
एनडीए की ओर से बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी ने रैलियां कीं तो तेजस्वी यादव ने भी एक दर्जन के करीब जनसभाएं की हैं.
बिहार के तीसरी चरण की 78 सीटों पर 1208 उम्मीदवार मैदान में हैं, जहां शनिवार को मतदान होगा. आखिरी चरण में 15 जिलों में चुनाव होना है, उनमें मुस्लिम बहुल सीमांचल तो यादव बहुल कोसी और ब्राह्मण बहुल मिथिलांचल की कुछ सीटों पर चुनावी जंग होनी है.
इसमें पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली और समस्तीपुर जिले शामिल है. एनडीए और महागठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहीं, पप्पू यादव और असदुद्दीन ओवैसी की सारी उम्मीदें इस चरण से हैं.
तीसरे और अंतिम चरण की 78 सीटों में से आरजेडी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी है. अंतिम चरण में 46 सीटों पर आरजेडी उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं जबकि 25 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.
इसके अलावा महागठबंधन के सहयोगियों में सीपीआई (माले) पांच और सीपीआई ने दो सीटें पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं.
वहीं, एनडीए की ओर से जेडीयू सबसे अधिक 37 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. बीजेपी ने 35 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं और वीआइपी की 5 और हम का एक सीट पर ताल ठोक रही है.
इसके अलावा ओवैसी आखिरी चरण में दो दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा एलजेपी 41 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, जिनमें 35 उम्मीदवार को जेडीयू के खिलाफ हैं.
बिहार के फाइनल चरण की 78 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा सीटों पर नीतीश कुमार की पार्टी का कब्जा है. 2015 में महागठबंधन के संग रहते हुए जेडीयू ने 23 सीटें जीती थी जबकि आरजेडी को 20 सीटें मिली थी और कांग्रेस ने11 सीटें हासिल की थी.
वहीं, बीजेपी ने भी 20 सीटें ही जीत सकी थी जबकि चार सीटें अन्य को मिली थी. एलजेपी का इस चरण में खाता नहीं खुल सका था.